बिंदकी फतेहपुर।
जो दुख सुख में मित्रों का साथ दे वही सच्चा मित्र है।यही संसार मेंं सच्चा धर्म हैं। यह बात मंगलवार को कस्बा बकेवर के पथिक धाम में बृम्हलीन संत.सम्राट स्वामी पथिक जी महाराज की 111 वीं जयंती के अवसर पर आयोजित रुद्रमहायज्ञ एवं श्रीमद्भागवत पुराण के पंचम दिवस में श्रीकृष्ण के जन्म के बाद की कथाएं सुनाते हुए कही।
आचार्य पुरुषोत्तम दास ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा के बाद का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि नन्दबाबा कंस के यहां कर देने मथुरा गए जहाँ वसुदेव जी से जब मिले तो अपने दुख सुख को एक दूसरे से साझा किया। यही है सच्चे मित्र की पहचान।इसी क्रम में आचार्य जी ने माखन चोरी, उखल बंधन ,मिट्टी खान लीला, गोवर्धन पूजा आदि कथाओं को विस्तार से सुनाया।
यज्ञानुष्ठान का कार्यक्रम आचार्य प्रमुख ओम नारायण तिवारी, सह आचार्य लव द्विवेदी, हरि नारायण तिवारी, जगत,शिवम व प्रभाकर ने विधि विधान से सम्पन्न कराया।
दुख सुख में जो साथ दे वही सच्चा मित्र- कथावाचक