अधूरा बाईपास बना बीरबल की खिचड़ी
---- जनप्रतिनिधि और प्रशासन लगातार कर रहे अनदेखी
---- नगर के अंदर लगता जाम होती दुर्घटनाएं
------ अधूरे बाईपास के कारण हर माह होती एक मौत
बिंदकी फतेहपुर
शासन प्रशासन के साथ जनप्रतिनिधि व अधिकारी चाहे जितने विकास के दावे करें लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बनी रहती है इसका सबसे बड़ा उदाहरण बिंदकी का अधूरा बाईपास है बाईपास की आस को लेकर जनता निराश होने लगी है बाईपास अब बीरबल की खिचड़ी बन चुका है जो पकने का नाम नहीं ले रही है
बताते चलें कि बिंदकी बाईपास वर्ष 2011 में बनना प्रारंभ हुआ था 5 किलोमीटर लंबा बाईपास करीब 8 करोड़ की कीमत से बना था इस बाईपास के निर्माण में जाफराबाद जनता मुरादपुर तथा कोहना गांव के करीब 300 से अधिक गांव की जमीन लिया जाना था जिसमें अधिकांश किसानों की जमीन पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा किसानों की सहमति के आधार पर दी जा चुकी है अधिकांश स्थानों पर निर्माण हो ही चुका है वर्तमान समय में केवल कुंवरपुर रोड कुंदनपुर गांव के समीप केवल 200 मीटर की लंबाई में बाईपास अधूरा पड़ा है इस जमीन के किसान कर्मेंद्र सिंह के अनुसार उन्हें सर्किल रेट के हिसाब से मुआवजा दिया जाए तभी वह अपनी जमीन दे पाएंगे जिसको लेकर अभी तक शासन प्रशासन पीडब्ल्यूडी विभाग तथा जनप्रतिनिधि कोई निर्णय नहीं कर पाए हैं जिसके चलते बाईपास अधूरा पड़ा हुआ है इस अधूरे बाईपास के कारण नगर के अंदर भीषण जाम लगा रहता है लोगों को पैदल निकलना भी दुश्वार होता है आए दिन दुर्घटना होती है औसतन प्रतिमाह 1 लोगों की मौत ही हो रही है लेकिन जिम्मेदार लोग इस बड़ी समस्या को लेकर अनदेखी करते हैं और एक ही रटा रटाया जवाब आता है जल्द ही बन जाएगा कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति स्पष्ट रूप से कुछ कहने की स्थिति में नहीं होता है इतना ही नहीं सत्ता पक्ष की भूमिका तो सही है ही नहीं विपक्ष भी इस मामले में पूरी तरह से अपने को अलग किए रहता है अब तक विपक्ष के किसी भी पार्टी द्वारा या समाज सेवी संगठन द्वारा इस मामले को लेकर कोई आंदोलन या किसी प्रकार का संघर्ष नहीं किया गया है जिसको लेकर लोगों में गहरी नाराजगी का माहौल है कि सत्ता पक्ष के लोग तो उदासी नहीं है विपक्षी भी अपनी भूमिका नहीं प्रदान कर रहा है जिसके चलते शासन प्रशासन जनप्रतिनिधि और अधिकारी पूरी तरह से इस मामले को लेकर किनारा करते हुए हैं और लोगों को उनके हाल में छोड़ दिया है