" मेरे कान्हा"
लगन तुमसे लगाया
है,
तुम्हें अपना बनाया है l
तुम्हीं से ज़िंदगी मेरी,
तुम्हीं ने आशा की पूरी l
मेरे मोहन! मेरे कान्हा!
तुम्हीं से दूर हर विपदा l
लगन तुमसे लगाया है,
तुम्हें अपना बनाया है l
तुम्हीं से दिल्लगी मेरी,
तुम्हीं दीवानगी मेरी l
तुम्हीं नईया खेवईया हो,
तुम ही पार लगइया हो l
लगन तुमसे लगाया है,
तुम्हें अपना बनाया है l
तुम्हीं तक जुस्तज़ू मेरी,
नहीं तुमसे कोई दूरी l
तुम्हीं लीला रचइया हो,
तुम्हीं बंशी बजइया हो l
लगन तुमसे लगाया है,
तुम्हें अपना बनाया है l
तुम्हीं ने 'प्रेम -रस' देकर,
किया सिंचित ह्रदय जन हरl
दिया है ज्ञान तुमने ही,
दिया है मान तुमने ही l
लगन तुमसे लगाया है,
तुम्हें अपना बनाया है l
रश्मि पाण्डेय
बिंदकी फतेहपुर