वैक्सीन लगने के बाद कोरोना संक्रमण का खतरा रहेगा कम, एक नया अध्ययन आया सामने।
बड़े पैमाने पर किए गए इस अध्ययन के नतीजों को लैंसेट इंफेक्शस डिजीज पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। यह निष्कर्ष ब्रिटेन में वैक्सीन की एक या दोनों डोज लगवाने वाले 12 लाख से ज्यादा लोगों के डाटा के विश्लेषण के आधार पर निकाला गया है।
नई दिल्ली। कोरोना वायरस (कोविड-19) से मुकाबले के लिए तैयार की गई वैक्सीन के प्रभाव को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। इसका दावा है कि वैक्सीन लगने से कोरोना संक्रमण के गंभीर होने का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। अध्ययन के अनुसार, वैक्सीन की एक या दोनों डोज लगने के बाद भी कोरोना की चपेट में आने वाले लोगों में बीमारी के गंभीर होने का जोखिम काफी कम पाया गया है। टीका नहीं लगवाने वाले लोगों के मुकाबले ऐसे पीडि़तों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत भी कम पड़ती है।
बड़े पैमाने पर किए गए इस अध्ययन के नतीजों को लैंसेट इंफेक्शस डिजीज पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। यह निष्कर्ष ब्रिटेन में वैक्सीन की एक या दोनों डोज लगवाने वाले 12 लाख से ज्यादा लोगों के डाटा के विश्लेषण के आधार पर निकाला गया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, कोरोना पाजिटिव जाए जाने के बाद उन लोगों में संक्रमण के दीर्घकालीन असर के खतरे को भी तकरीबन आधा पाया गया, जिनको वैक्सीन की दोनों डोज लगी थी। उन्होंने बताया कि वैक्सीन की पहली डोज लगने के बाद भी 60 साल से ज्यादा उम्र वाले लोग और खराब सेहत वाले बुजुर्ग कोरोना के लिहाज से ज्यादा संवेदनशील होते हैं। मोटापे, हृदय रोग, किडनी रोग और फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे लोगों में भी खतरा बना रहता है।
ब्रिटेन के किंग्स कालेज लंदन के शोधकर्ता क्लेयर स्टीव्स ने कहा, 'कोरोना महामारी के दौर में हम नाजुक स्थिति में हैं, क्योंकि डेल्टा वैरिएंट के चलते दुनियाभर में मामले बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही हम इस सच को भी खारिज नहीं कर सकते हैं कि वैक्सीन सही तरीके से काम कर रही हैं। वे संक्रमण को गंभीर होने से रोकने के साथ ही जिंदगियां भी बचा रही हैं।'