2-क्षत्रिय" नेताओं की "संधि" में "सेतु" बने भाजपा "जिलाध्यक्ष
मौरंग कारोबारी पूर्व विधायक दलजीत सिंह एवं मुन्ना सिंह के बीच छिड़ गई थी जंग
9 करोड़ 70 लाख ना देने का आरोप लगा उदय प्रताप ने दलजीत सहित 6 पर दर्ज करा दिया था मुकदमा
क्षत्रिय नेताओं की सुलह को लेकर गैर जनपद के बिरादरी के नेताओं को मिल चुकी है असफलता
सत्ता के गलियारे तक पहुंच गई थी दोनों नेताओं की लड़ाई
भाजपा जिलाध्यक्ष ने फिर मनवाया अपना लोहा
फतेहपुर।9 करोड़ 70 लाख रुपए की देनदारी को लेकर 2 क्षत्रिय नेताओं में छिड़ी जंग को सुलझाने की बिरादरी के नेताओं को मिली असफलता के बाद भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष आशीष मिश्र ने सेतु का काम किया। उनकी पहल के बाद एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने वाले नेताओं के बीच हुई आपसी सुलह से बड़े विवाद को विराम लग गया। वहीं जिलाध्यक्ष द्वारा की गई पहल को लेकर भी गए गए संदेश की सत्ता के गलियारों में भी चर्चा शुरू हो गई है।
बांदा जनपद के पूर्व विधायक दलजीत सिंह एवं जनपद के रहने वाले जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह उर्फ मुन्ना सिंह तथा अप्रत्यक्ष रूप से उनके भाई जिला पंचायत अध्यक्ष अभय प्रताप सिंह उर्फ पप्पू सिंह के बीच मौरंग के कारोबार को लेकर हुए आपसी समझौते के बाद विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। कई खदानों में लगे घाटे के बाद एक पक्ष पैसा लेने का दबाव बना रहा था तो दूसरे पक्ष द्वारा लगे घाटे के चलते अन्य खदानों से क्षतिपूर्ति करने की बात की जा रही थी। *दोनों पक्षों के बीच जो तकरार शुरू हुई तो मामला मुकदमें तक पहुंच गया।गत 19 जुलाई को अपराध संख्या 502/22 के तहत सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने पूर्व विधायक दलजीत सिंह समेत छह लोगों पर 9 करोड़ 70 लाख रुपए धोखाधड़ी करने का आरोप लगा मुकदमा दर्ज करा दिया। मुकदमा दर्ज होने के बाद दोनों पक्ष आमने-सामने हो गए और पूर्व विधायक दलजीत सिंह ने भी बंदा व लखनऊ से मीडिया के बीच अपना पक्ष रखा जिसमें अनुबंध तोड़ने सहित अन्य कई गंभीर आरोप लगा उच्च स्तरीय जांच की बात कही थी। दलजीत सिंह बांदा जनपद में क्षत्रिय बिरादरी के कद्दावर लोगों में शुमार किए जाते हैं तो उदय प्रताप सिंह के परिवार की राजनीति में हस्तक्षेप के अलावा बड़े व्यवसायियों में गिनती होती है।
जनपद ही नहीं गैर जनपद के कई बिरादरी के नेताओं ने दोनों के बीच सुलह कराने की मजबूत पहल की लेकिन उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी। दलजीत सिंह मौजूदा समय में भारतीय जनता पार्टी की राजनीति कर रहे हैं जबकि उदय प्रताप सिंह बसपा व सपा में रहने के बाद भाजपा में इंट्री करने के प्रयास में हैं वहीं उनके भाई अभय प्रताप सिंह उर्फ पप्पू सिंह मौजूदा समय में जिला पंचायत अध्यक्ष हैं।मामला भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से जुड़ा होने के चलते कहीं ना कहीं पार्टी को भी असहजता महसूस हो रही थी। सूत्रों की माने तो भाजपा जिलाध्यक्ष आशीष मिश्रा ने एक बार फिर महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और दोनों नेताओं के बीच सुलह समझौते की महत्वपूर्ण कड़ी बने।खबर है कि बीती रात घंटों चली पंचायत के बाद दोनों पक्षों के बीच आपसी रजामंदी हो गई है और एक दूसरे का मुंह मीठा करा कर छेड़ी गई जंग को विराम लगाने का ऐलान कर दिया है।एक ओर जहां बिरादरी समेत कई अन्य नेताओं द्वारा सुलह की पहल पर नाकामी हाथ लगी थी वहीं भाजपा जिलाध्यक्ष को बड़ी सफलता हाथ लगी।जिलाध्यक्ष का मिलनसार एवं मृदुभाषी होने के साथ-साथ संगठन को मजबूती के साथ चलाने एवं कई चुनाव के मिले तजुर्बे का बड़ा फायदा मिला।दोनों क्षत्रप नेताओं ने आपसी सुलह कर ली। मामला ऐसा था जो सत्ता के गलियारे तक चर्चा का विषय बना हुआ था।आपसी तालमेल,सूझबूझ के बाद मिली इस सफलता ने भाजपा जिलाध्यक्ष को एक बार फिर से प्रशंसा का पात्र बना दिया है।