एआटीओ दफ्तर में भ्रष्टाचार का बोलबाला, हर काम के लिए बंधी रकम
फाइल देखने से लेकर निकालने तक डीएल से लेकर हर एक काम के लिये लिया जाता है खुलेआम पैसा
फतेहपुर।सूबे में दुबारा से भाजपा की योगी सरकार बनने के बाद हौवा तो खूब बनाया जा रहा है कि यूपी के गुंडा, माफिया और भ्रष्टाचारियों पर सामत आ गई है। हर जगह जनता की आवाज सुनी जा रही है। कार्यालयों में सारे काम सही तरीके से हो रहे हैं।
योगी सरकार द्वारा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के बाद भी फतेहपुर ज़िले का एआरटीओ आफिस लूट का अड्डा बना हुआ है हम आपको बताते चलें कि ए आर टी ओ ऑफिस में सबसे बड़ा दलाल है जो गरीब जनता को बेवकूफ बनाकर लाइसेंस बनाने के नाम पर उनसे मोटी रख वसूलता है जब इस दलाल को पैसे मिल जाते हैं तो यह अपना फोन बंद कर देता है सोचने वाली बात तो यह है कि जब आरटीओ ऑफिस में यह कोई बाबू नहीं है उसके बावजूद में हर ऑफिस में बाबू के अगल-बगल में घूमता रहता है यहां दलालो के बिना कोई काम नहीं होता। हर काम का अलग रेट फिक्स है। फाइल देखने से लेकर निकालने तक ड्राइविंग लाइसेंस की फोटो खिंचाने से लेकर गाड़ियों का फ़िटनेस प्रमाण पत्र लेने तक हर एक काम के लिये खुलेआम पैसा लिया जाता है।
खिड़की पर तैनात अधिकांश कर्मी अधिकृत न होने के बावजूद काम कर रहे हैं और हर काम का निश्चित पैसा वसूले बिना फाइल देखते तक नही हैं। दूर दराज से आये लोगों को पहले तो दलालों से दो चार होना पड़ता है इसके बाद बाबुओं की उगाही से उनकी जेब में डाका पड़ता है। अगर आपको ड्राइविंग लाइसेंस की फ़ोटो खिचानी है और बायो मिट्रिक्स करानी है तो पचास रुपये बाबू को देने होंगे अन्यथा बाबू "सर्वर नही काम कर रहा है" कह कर आपको टरका देगा। अगर वाहन की एनओसी हासिल करनी है तो भी आपको छोटे से लेकर बड़े बाबू तक चढ़ावा चढाना पड़ेगा अन्यथा आपका काम होने से रहा इस रिश्नतखोरी की पोल तब खुल गई जब सुनहरा संसार की टीम परिवहन कार्यालय पहुंच गई। बेखौफ एआरटीओ आफिस के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से लेकर बड़े बाबू तक सिर्फ धन उगाही में लगे दिखे ये भी क्या करें? आखिर शाम को बड़े साहब को हिसाब भी तो देना है इस भ्रष्टाचार के कई बड़े किरदार हैं जो पहले पैसा लेते है तब जाकर रिकार्ड रूम से फाइल निकालते हैं कम से कम पचास रुपये एक फ़ाइल के चाहिए तब आपकी फ़ाइल निकाली जाएगी।
एक चीज़ लिखना भूल गया कि ज्यादातर समय दलाल बाबुओं के आस पास अंदर ही मंडराते रहते हैं जब कि कार्यालय के बाहर साफ साफ लिखा है कि अनाधिकृत व्यक्ति का प्रवेश वर्ज़ित है सरकार के स्वच्छ भारत और भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश के नारो की बखिया उधेड़ रहे इन कर्मचारियों के अन्दर न तो कार्यवाही की दहशत है और न ही ईमानदारी से काम करने की इच्छा।
उल्टे यह सरकार की मंशा और शासन के निर्देशों को चुनौती दे रहे हैं। इस सम्बंध में जब कर्मचारियों से बात करने की कोशिश की गई तो सब ये कहते हुए दाये बाएं हो गए कि अधिकारी को शाम को हिसाब देना होता है। एआरटीओ प्रशासन से ने तो संवाददाता से बात करने से ही मना कर दिया।
सवाल यह है कि क्या इस प्रकार के भ्रष्ट कर्मचारियों पर कोई प्रभावी कार्यवाही हो पायेगी या जांच के नाम पर कार्यवाही को टालकर इन्हे यूं ही लूट जारी रखने का मौन समर्थन दिया जायेगा।