बिजली के करंट से नहीं, नोटों के करंट से जलते कनेक्शन!
बिजली के करंट से नहीं, नोटों के करंट से जलते कनेक्शन!

फतेहपुर।बिंदकी में बिजली विभाग ने एक बार फिर साबित कर दिया कि यहां मीटर सिर्फ करंट नहीं, बल्कि रिश्वत के वोल्टेज से भी दौड़ता है। विजिलेंस टीम ने विद्युत वितरण खंड कार्यालय में तैनात लिपिक अजीत सिंह को 20 हजार की 'ऊर्जा सहायता राशि' लेते रंगे हाथ धर दबोचा। बेचारे लिपिक को शायद अंदाजा नहीं था कि इस बार मीटर उल्टा घूमने वाला है।

अब कहानी सुनिए, जो एकदम फिल्मी है! गोधरौली गांव के श्वेतांशु द्विवेदी ने अपनी फैक्ट्री के लिए 4,24,880 रुपये जमा किए थे, ताकि बिजली कनेक्शन और लाइन का एस्टीमेट बने। लेकिन जैसा कि सरकारी कार्यालयों की परंपरा है—"पहले दक्षिणा, फिर सुविधा", बिना रिश्वत दिए यहां कुछ नहीं चलता।

जब शिकायतकर्ता अरविंद कुमार पाल ने एक्सईएन हरिओम सोनी से गुहार लगाई, तो उन्होंने 'बिजली बचत योजना' के तहत सुझाव दिया—"बस 20 हजार का 'शॉर्ट सर्किट' करा दो, काम झटपट हो जाएगा!" अरविंद जी भी कम समझदार नहीं थे, उन्होंने विजिलेंस को कॉल कर दिया।

और फिर हुआ 'लाइव कनेक्शन'—रंगे नोट दिए गए, लिपिक जी ने मुस्कुराते हुए उन्हें पकड़ा, और ठीक उसी समय विजिलेंस टीम ने भी उन्हें पकड़ लिया! अब बिजली विभाग के कर्मचारी सदमे में हैं, क्योंकि पहली बार किसी ने बिना रिश्वत दिए 'बिजली गिरा' दी।

इस घटना के बाद विद्युत विभाग के अन्य कर्मचारियों की हालत उस बिजली ट्रांसफार्मर जैसी हो गई है, जो ओवरलोड होकर फुंक गया हो। अब कार्यालय में सन्नाटा पसरा है, और अफसरों की जुबान पर ताला लग गया है।

इधर जनता सोच रही है कि "काश विजिलेंस टीम हर दफ्तर में मीटर लगाकर रखती, तो पूरे सिस्टम का लोड बैलेंस सही हो जाता!
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