मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा कथित बयान के विरोध में दिव्यांग
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा कथित बयान के विरोध में दिव्यांग

दिव्यांग जनों ने किया प्रदर्शन प्रधानमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

बांदा। दिव्यांग प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष श्रीराम प्रजापति और कई अन्य दिव्यांग व्यक्तियों ने एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद की है। उन्होंने इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करने और मुख्यमंत्री से सार्वजनिक माफी की मांग करते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से भेजा है। इस ज्ञापन का केंद्रीय बिंदु मुख्यमंत्री मोहन यादव का वह बयान है जिसे दिव्यांग समुदाय ने "अतिसंवेदनशील" और करोड़ों दिव्यांग नागरिकों की गरिमा, आत्मसम्मान और भावनाओं को "गहराई से आहत" करने वाला माना है। ज्ञापन में उस विशिष्ट बयान का उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन इसकी भाषा से स्पष्ट है कि यह दिव्यांगजनों के प्रति नकारात्मक या अपमानजनक अर्थ रखता था।
श्रीराम प्रजापति और अन्य दिव्यांगजनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपना विश्वास व्यक्त किया है, जिन्होंने हमेशा "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास" के सिद्धांत का समर्थन किया है। ज्ञापन में विशेष रूप से इस बात का उल्लेख किया गया है कि प्रधानमंत्री ने ही 'विकलांग' शब्द के स्थान पर 'दिव्यांग' शब्द का प्रयोग करके समुदाय को एक सम्मानजनक पहचान दी है। 'दिव्यांग' शब्द का अर्थ है 'दिव्य क्षमता वाला', जो व्यक्ति की क्षमताओं पर जोर देता है न कि उनकी अक्षमताओं पर। इस पृष्ठभूमि में, दिव्यांग समुदाय ने प्रधानमंत्री से मांग गई कि  वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को समस्त दिव्यांगजनों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के लिए कहें। सार्वजनिक माफी की मांग इस बात का प्रतीक है कि समुदाय इस बयान को हल्के में नहीं ले रहा है और चाहता है कि मुख्यमंत्री न केवल अपने शब्दों के लिए जिम्मेदारी लें बल्कि सार्वजनिक रूप से अपनी गलती स्वीकार करें ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। ज्ञापन के अंत में, श्रीराम, जो दिव्यांग प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष हैं, ने "न्याय की प्रतीक्षा में समस्त दिव्यांगजन" लिखकर इस मुद्दे की गंभीरता और समुदाय की न्याय की उम्मीद को दर्शाया है। यह पंक्ति यह भी व्यक्त करती है कि दिव्यांगजन इस मामले पर कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं और तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता। संक्षेप में, यह घटना मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के एक विवादास्पद बयान के बाद दिव्यांग समुदाय की पीड़ा और निराशा को उजागर करती है। जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजना उनकी उम्मीद को दर्शाता है कि राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे पर ध्यान दिया जाएगा और उन्हें न्याय मिलेगा। यह घटना दिव्यांगजनों के सम्मान और गरिमा के प्रति संवेदनशीलता बनाए रखने की आवश्यकता पर भी जोर देती है।
टिप्पणियाँ