भारत कर चुका है कोविड-19 की 1 अरब खुराक बुक, जानें-कैसे काम करेगी आरएनए वैक्सीन

नई दिल्‍ली,,कोविड-19 की रोकथाम को लेकर भारत बेहद गंभीरता से कदम आगे बढ़ा रहा है। इसके भारत की नजरें दुनिया में इसको लेकर बनने वाली सभी वैक्‍सीन पर है। भारत में भी इसको लेकर वैक्‍सीन का परीक्षण तीसरे चरण में है। हालांकि अभी इस बारे में कहना काफी मुश्किल है कि वैक्‍सीन सही मायने में भारत में कब तक मिल सकेगी। इसको लेकर फिलहाल कयास ही लगाए जा रहे हैं। इसके बाद भी भारत ने अपने देशवासियों को इसकी खुराक मुहैया करवाने के लिए विभिन्‍न माध्‍यमों से वैक्‍सीन की बुकिंग कर ली हैं।











नोवावैक्स : वैक्सीन की एक अरब खुराक को भारत ने आरक्षित करा लिया है। वह अभी तीसरे चरण के परीक्षण से गुजर रही है और ब्रिटेन में 10 हजार लोगों पर उसका परीक्षण किया जा रहा है। इसी महीने उसका बड़े पैमाने पर परीक्षण शुरू हो सकता है। अगर परीक्षण सफल रहा तो यह वैक्सीन अगले साल के उत्तरार्ध में लोगों के लिए उपलब्ध हो जाएगी। सितंबर माह में नोवावैक्स व सीरम इंस्टीट्यूट ने दो अरब खुराक प्रति वर्ष उत्पादन के लिए समझौता किया है।


स्पुतनिक-5 : भारत ने रूस के गैमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट से भी स्पुतनिक-5 वैक्सीन के लिए करार किया है। दावा किया है गया है कि स्पुतनिक-5 92 फीसद प्रभावी है।


ऐसे काम करेगी आरएनए वैक्सीन : विज्ञानी वायरस के जेनेटिक कोड को लेते हैं, जिससे पता चलता है कि कोशिकाओं से क्या विकसित होगा। इसके बाद उसे लिपिड में कोट करते हैं, जिससे कि वह शरीर की कोशिकाओं में आसानी से प्रवेश कर सके। मरीज को सुई लगाना, आरएनएवैक्सीन कोशिकाओं में प्रवेश करता है और उन्हें कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन पैदा करने के लिए प्रेरित करता है। यह रोग प्रतिरोधी प्रणाली को एंटीबॉडी पैदा करने व टी-सेल को सक्रिय करने का संकेत देता है, जिससे संक्रमित कोशिकाओं को खत्म किया जा सके। इस प्रकार मरीज कोरोना वायरस से लड़ता है और एंटीबॉडी व टी-सेल संक्रमण को नष्ट करती हैं।


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