मौरंग घाटों पर आखिर असलहों का प्रदर्शन कब रुकेगा
धन बल के दम पर कब तक सरकार की गाइडलाइंस और एनजीटी के नियमों की धज्जियां मौरंग खनन में उड़ाई जाती रहेगी
फतेहपुर। जनपद का धाता थाना क्षेत्र उस समय चर्चा में आया जब रानीपुर मौरंग घाट पर दो मौरंग माफियाओं के बीच गोली कांड हुआ था। दो माह पहले कई राउंड गोलियां रानीपुर मौरंग घाट पर चलाई गई थी। वर्चस्व की लड़ाई को लेकर दोनों गुटों ने जिस तरह से नंगा नाच किया उसे लेकर पुलिस विभाग के साथ-साथ खनन विभाग तनिक भी शर्मिंदा नहीं हुआ।सत्ता की हनक का जो असर दिखा उसमें एक पक्ष द्वारा मुकदमा तो दर्ज हो गया लेकिन दूसरा पक्ष मुकदमा दर्ज नहीं करा सका। यहां भी धनबल ही काम आया और इसका जो प्रभाव रहा उसमें क्या कार्रवाई हुई या फिर सब ठंडे बस्ते में दब गई। ऐसा लग रहा था कि गिरफ्तारी करना पुलिस अपनी सेहत के लिए अच्छा नहीं समझ रही थी। पहले एक पक्ष का मुकदमा दर्ज न करना दूसरा गिरफ्तारी ना करना धाता थाने की पुलिस को सन्देह के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया। अभी भी जायज नाजायज असलहो का प्रदर्शन मौरंग घाटो पर जारी है यूं कहें कि पूरा इलाका दहशत में रहता है।
आप समझ रहे होंगे कि 2 माह पूर्व मौरंग घाट पर हुए गोलीकांड की चर्चा हम आज क्यों रहे हैं। चर्चा करने का मकसद सिर्फ एक ही है कि कुंभकरणी नींद मैं सो रहे जिला प्रशासन को जगाना और यह बताने की कोशिश करना कि प्रदेश सरकार असलहों के प्रदर्शन पर रोक लगाने की बात कर रही है तो फिर मौरंग घाटो से लेकर खनन विभाग के कार्यालय तक असलहे ही असलहे क्यो नजर आते हैं। और इन्हीं असलहो के बल पर जो भी मौरंग घाटों पर होता है वह किसी से छिपा नहीं। प्रदेश सरकार की गाइडलाइंस का उल्लंघन से लेकर एनजीटी के नियमों की धज्जियां उड़ा कर यमुना नदी की धारा के बीच से मौरंग खनन कराना इनके लिए आसान हो जाता है।
अवैध खनन का यह खेल काफी पुराना है। इलाके में भय पैदा कर इस खेल को खेला जाता है। धनबल का जो वर्चस्व दिखाई देता है उससे इलाके के लोगों के बीच दहशत का माहौल हमेशा बना रहता है यह माहौल मौरंग माफियाओं के लिए एक वरदान साबित होता है। सवाल तो इस बात को लेकर पूछा जाना चाहिए कीआखिर असलाहों का प्रदर्शन कब रुकेगा और कुंभकरण की नींद सोने वाली पुलिस व खनन विभाग कब जागेगी और कब सरकार की गाइडलाइंस और एनजीटी के नियमों के तहत खनन किया जाएगा।