"निजता"
मैं तुम्हें बताऊँ क्या निजता ?
क्या शब्द ह्रदय के समझोगे ?
या तुम भी औरों के जैसे,
. घातक हिय प्रहार कर दोगे ?
मैं हार नहीं सकती जग से,
कितना भी झूठ प्रबल होवे l
विश्वास सहारे तेरे ही,
जीवन-नौका मैं सकती खे l
हर दोराहे पर चलकर भी,
क्या मुझको ही तुम चुन लोगे ?
मैं तुम्हें बताऊँ क्या निजता?
क्या शब्द ह्रदय के समझोगे ?
मैं नियम नहीं कोई जानूँ,
मम् भाव सरलतम ह्रदय के l
क्या भावों की पावनता को,
तुम हटकर सबसे समझोगे ?
विश्वास ह्रदय की शून्य उपज,
है समाविष्ट ह्रदय तल में l
विश्वास संग ये गहराई ,
क्या समझ ; साथ मेरा दोगे?
क्या करूँगी शब्दों को कहकर,
मैं बुनूं भला क्यों शब्दजाल?
क्या मूक भाव होकर तुम भी,
मम् मूक भाव को समझोगे ?
या तुम भी औरों के जैसे,
घातक हिय प्रहार कर दोगे ?
बनकर प्रहरी मम् निजता के,
श्रृंगार मेरा तुम कर दोगे ?
क्या बनकर के काजल भी तुम,
नूर नयन में भर दोगे ?
शून्य भाव की अपलकता,
हो निर्निमेष की प्रबलता l
क्या हाथ थामकर मेरा तुम,
भव सागर पार करा दोगे ?
रश्मि पाण्डेय
बिंदकी, फतेहपुर