शिक्षा माफिया बोर्ड परीक्षाओं में करिश्मा करने के लिए फिर से हुए है सक्रिय
बिंदकी फतेहपुर।विकासखंड देवमई के कुछ इंटर कॉलेजों में शिक्षा के नाम पर खेल करने में माफिया पूरी तरह से मशगूल हैं और वर्तमान सरकार की शिक्षा नीतियों पर एक बदमाश धब्बा लगा रहे हैं ।विकासखंड देवमई के ग्राम सभा स्थित स्वामी परमानंद इंटर कॉलेज सहित लगभग आधा दर्जन ऐसे शिक्षा संस्थान हैं जहां शिक्षा के नाम पर व्यापार किया जा रहा है। इन विद्यालयों में पैसे के बल पर हाईस्कूल व इंटरमीडिएट का परीक्षा केंद्र बनवाया जाता है फिर यहां पर पहले से ही ठेके पर इनरोलमेंट किए गए छात्रों से अवैध वसूली कर परीक्षाओं में नकल कराने का ठेका लिया जाता है। माध्यमिक शिक्षा परिषद की परीक्षाएं नजदीक आ रहे हैं और यह शिक्षा माफिया अपने विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनवाने के लिए अभिषेक मशहूर हो गए हैं। स्वामी परमानंद इंटर कॉलेज मुसाफा इन विद्यालयों में से एक ऐसा विद्यालय है जहां पर शिक्षा के नाम पर शिक्षा माफिया कथित प्रधानाचार्य द्वारा परीक्षाओं के नाम पर मुख्य रूप से अवैध धंधा करके विद्यालयों को संचालित किया जा रहा है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि सरकार की मंशा नकल विहीन परीक्षाएं कैसे संभव हो पाएंगी। इस विद्यालय सहित क्षेत्र के लगभग आधा दर्जन विद्यालय इसी करिश्मा के लिए विख्यात है किंतु यह शिक्षा माफिया सरकार की मंशा के विपरीत कार्य करके शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग को बदनाम करने का काम कर रहे हैं।
सबसे मजेदार बात यह है कि यह शिक्षा माफिया जिला विद्यालय निरीक्षक सहित जिले के आला अधिकारियों को भी बदनाम करने से नहीं चूकते हैं। इनका कहना है कि परीक्षा के दौरान परीक्षा केंद्र बनवाने के लिए जिले के अधिकारी और माध्यमिक शिक्षा विभाग के परीक्षा विभाग को वह मनमानी रकम देकर के परीक्षा केंद्र बनवाते हैं। ऐसे में उनके खिलाफ किसी अधिकारी की क्या मजाल की कोई कार्रवाई कर ले या उनका परीक्षा केंद्र बनाने से रोक सके।
इन विद्यालयों के शिक्षा माफियाओं का दावा है कि किसी भी अधिकारी मैं यह जरूरत नहीं है कि वह उनके खिलाफ कार्रवाई कर ले क्योंकि वह हो सत्ता के नेताओं को भी समय-समय पर समझते रहते हैं अब यह सवाल उठता है कि क्या शिक्षा जगत के माफियाओं के खिलाफ वास्तव में इनके कथन अनुसार जिले के आला अधिकारी किसी भी कार्यवाही करने से क्यों कतराते हैं। सरकारी नियमों के विपरीत इन विद्यालयों में संचालित गतिविधियों पर जिलाधिकारी से जांच कराए जाने की मांग समय समय पर क्षेत्रीय लोगों द्वारा की जाती है किंतु कारवाई ना होना शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।