डॉ रामचंद्र सरस ने बांदा जिले में चल रही जल योजना और उसके आने वाले परिणामों पर गंभीर चिंता व्यक्त की
संवाददाता बाँदा - भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य एवं प्रगतिशील लेखक डॉ रामचंद्र सरस ने बांदा जिले में चल रही जल योजना और उसके आने वाले परिणामों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है ।डॉक्टर सरस ने कहा कि बांदा जिले में अमलीकौर, खटान ,चित्रकूट जिले में चिल्लीमल, में यमुना नदी के पानी द्वारा इस योजना को संचालित किया जा रहा है। उन्होंने कहा मानव सभ्यता के शुरुआती दौर से ही लोग कुआं व पोखरा के पानी का उपयोग करते रहे, जब से हैंडपंप, रिंग बोरिंग का दौर चला पानी का जलस्तर घटना शुरू हो गया ,व नदिया भी सूख जाती हैं।यमुना नदी का जल भी कम हो जाता है, इस योजना से यमुना भी खाली हो जाएगी,। दूसरी तरफ घर घर नल की व्यवस्था से आम जीवन में इसका बुरा प्रभाव रहेगा, पानी का मीटर बिजली की स्मार्ट मीटर की तरह भागेगा और लोगों को उसी के अनुसार जल का भुगतान करना पड़ेगा। जिससे जनमानस में इसकी दोहरी मार लोगों को झेलनी पड़ेगी ।इस तरह यह पानी का निजीकरण साबित होगा। दैनिक प्रयोग के लिए पशुओं के लिए, सिंचाई के लिए, पानी कहां से मिलेगा ।जिस कंपनी ने इस योजना की डिजाइन किया है उसने होने वाले दुष्परिणामों पर विचार नहीं किया ।पानी का जलस्तर दिनों दिन घट रहा है। यदि इस योजना को सिंचाई योजना में बदल दिया जाए और नदियों को एक दूसरे से जोड़ा जाए तथा बड़े तालाब बनाकर वर्षा के जल को संरक्षित किया जाए तो भविष्य में जलस्तर का घटना रुक सकता है, ऐसा नहीं किया गया तो भविष्य में बांदा, चित्रकूट, फतेहपुर ,कौशांबी, प्रयागराज जिलों के क्षेत्र को रेगिस्तान बनने से कोई नहीं रोक सकता और यहां के निवासी एक एक बूंद पानी के लिए तरस जाएंगे ।