तुम्हारी रूह तक पहुंचे,

 "भाव"


तुम्हारी रूह तक पहुंचे, 


              मेरी हर जूस्तुज़ु मन की l


मेरी संवेदना मन की, 

           तुम्हें झकझोर के रख दे l


मेरी हर कल्पनाएँ भी, 

               स्वप्न साकार ही कर दें l


मेरी मुस्कान सार्थक हो, 

               समाहित ही मुझको कर ले l


मेरा यह स्नेह ह्रदय का, 

               विदित न कर सकोगे तुम l


मेरी गहराई ह्रदय की, 

               समझ भी न सकोगे तुम l


ये कविता भाव से भरकर, 

               मेरा ह्रदय समाहित है l


करूँगी क्या दिखावा कर, 

               तुम्हें दुनिया मुबारक है l


मेरे ह्रदय की सात्विकता , 

                समर्पित ईश को मेरे l


मेरे मन की सरलता ये, 

             तुम्हें बदलाव में रख दे l


बड़ी कठिनाइयाँ दी हैं, 

               मेरी कदमों की राहों में l


मग़र मेरी भी दृढ़ता ये, 

                तुम्हें कमज़ोरियाँ भर दे l


मेरी संवेदना मन की, 

               तुम्हें झकझोर के रख दे l


रश्मि पाण्डेय

बिंदकी, फतेहपुर

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