हैं शब्द मेरे भाव भरे,

 "हमदर्द"




हैं शब्द मेरे भाव भरे, 


             क्या गहराई तुम समझोगे  ? 

ह्रदय की गह्वरता में से, 

               क्या पीर के मोती चुन लोगे? 

मेरे नयनों की विह्वलता, 

               क्या दूर नयन से कर दोगे ? 

मुस्कान वेदना पीर ह्रदय, 

               क्या अंतर्मन को समझोगे  ?

जहाँ सत्य है सराबोर, 

            क्या भाव पल्लवित कर दोगे? 

जीवन के अंतिम क्षण तक, 

               क्या रिक्त मेरा भर दोगे ? 

उस अनंत की सीमा में, 

                मेंरा अपना कोना होगा l

इस असीम धरती में मेंरा,

                 इक पावन उपवन होगा l                            

विह्वलता से भरा ये मन है, 

              क्या कोई फूल खिला दोगे  ?

भावों से है सराबोर मन, 

           क्या मन का कवच बना दोगे  ?

बड़ी टीस उठती है ह्रदय में, 

           क्या हिय की टीस मिटा दोगे  ?

हर काली रातों में तुम, 

              बन दीप मुझे चमका दोगे  ? 





रश्मि पाण्डेय

बिंदकी, फतेहपुर

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