देवता छोटी-मोटी चीज दे सकते हैं लेकिन जब तक पूरे सन्त से नाम नहीं मिलेगा तब तक परमात्मा जैसी ताकत नहीं आ सकती
मांस मछली अंडा शराब से मानव मंदिर हो जाता है गंदा, आत्मा जल्दी अंकुरित नहीं हो पाती
भेड़ों के बीच पले शेर के बच्चे के दृष्टांत से समझाया कि जब आत्मा साधना द्वारा अपने को देखेगी तो शक्ति आएगी
इंदौर (मध्य प्रदेश)।जीते जी देवी-देवताओं के दर्शन का रास्ता (नामदान) बतलाने वाले, लोक-परलोक बनाने वाले, इस धरती के वर्तमान प्रकट पूरे समर्थ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी ने 29 मार्च 2022 को इंदौर आश्रम में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित संदेश में बताया कि देवताओ के अंदर भी ताकत होती है। छोटी-मोटी चीजें वह भी दे सकते हैं लेकिन जब तक शब्द रूपी नाम नहीं मिलेगा तब तक बड़ी ताकत, शक्ति आप में नहीं आ सकती। नाम दान भी मिल जाए लेकिन नाम की कमाई न करो तब भी ताकत नहीं आ सकती। लेकिन जब गुरु खुश हो जाते हैं, उनके आदेश का पालन आदमी करता है, समय निकालता है तो इस आत्मा में परमात्मा जैसी ताकत शक्ति आ जाती है क्योंकि यह उसी की अंश है। जब यह अपने रुप को अंतर में देखती, समझती है, जिसको कहा गया *चरण कमल का दरस कराके*, दर्शन करती है तब परमात्मा जैसी ताकत आ जाती है।
*दृष्टांत- शेर का बच्चा, भेड़ों के बीच रहकर अपने को वही समझने लगता है, ऐसे आत्मा साधना द्वारा अपने को देखेगी तो शक्ति आएगी*
महाराज जी ने दृष्टांत देकर समझाया कि जंगल में शिकारी शिकार करने के लिए गए थे, हकवा लगाया। शेरनी भागी और उसके पेट में से बच्चा था, गिर गया। भेड़ चराने वाला ले गया। जब भेड़ों के बीच में उसकी आंख खुली तो तो समझा हमारे यही माता-पिता हैं। एक दिन जंगल में भेड़ों के साथ वो शेर का बच्चा भी गया हुआ था जो काफी बड़ा हो चुका था। दूसरा शेर शिकार की तलाश में निकला तो देखा मेरी आहट से भेड़ें भाग रही है और शेर भी भाग रहा है। उसको पकड़ा, कहा तू तो मेरे जैसा है, तू इनके बीच में कहां जा रहा है? उसने कहा मैं तो आप जैसा नहीं हूं क्योंकि अपने को देख-समझ नहीं पा रहा था कि मेरे अंदर क्या शक्ति, ताकत है। तब जंगल वाला शेर उसको ले जाकर के पानी में उसकी परछाई को दिखाया तब भेड़ों के बीच में रहने वाले शेर के अंदर में वही ताकत आ गई। ऐसे ही जब अंतर में आत्मा देखेगी तो इसके अंदर भी ताकत आ जाएगी। सन्त, अवतारी शक्तियां या आप, सबके अंदर वही आत्मा है लेकिन यह जरूर है कि अलग-अलग आत्माएं अलग-अलग शरीर के अंदर हैं।
*जैसे बुवाई में गहरा-उथला होने से चने का पौधा छोटा-बड़ा होता है ऐसे ही आत्मा कर्मों के अनुसार उभरती, आगे बढती है*
जैसे जमीन के अंदर कोई चना की बुवाई कर दे। एक चना होता है जो ज्यादा गहराई में चला जाता है वो थोड़ी देर में जमता है और एक थोड़ा ऊपर होता है, ऊपर कम मिट्टी होती है। जब नमी होती है तो जल्दी अंकुरित होता है। एक ही खेत में छोटा-बड़ा पौधा हो जाता है। ऐसे ही कर्मों के अनुसार यह आत्मा भी उभरती, आगे बढ़ती है।
*मांस मछली अंडा शराब से मानव मंदिर हो जाता है गंदा, आत्मा जल्दी अंकुरित नहीं हो पाती*
इसीलिए कहा गया बुरे कर्म मत करो, शरीर को साफ सुथरा रखो, गंदगी इसमें मत भरो, मांस मछली अंडे शराब इन चीजों का सेवन मत करो। जीव हत्या इससे होती है, डबल पाप लगता है। मनुष्य मंदिर गंदा होता है। गंदी जगह से पूजा-उपासना करने पर वह मालिक खुश नहीं होता है।देखो मिट्टी-पत्थर के मंदिर में कोई मुर्दा, मांस ले जा कर के डाल दे तो उसमें कोई पूजा-पाठ नहीं करता है। ऐसे ही मानव मंदिर है। इसको साफ-सुथरा रखो कि जिससे आत्मा जल्दी अंकुरित हो जाए, अंकुरि जीव बन जाए आत्मा इसलिए समझाया, बताया जाता है।
*सन्त उमाकान्त जी के वचन*
सूरज, चांद, सितारे सभी लोगों को एक जैसे दिखते हैं, ऐसे ही ईश्वर-खुदा एक जैसे ही दिखते हैं। ऐसा खराब समय आ रहा है कि नास्तिक लोगों को भी खुदा-भगवान एक मिनट में याद आ जायेगा। सच्चे फकीर, महात्मा की बातों में दम होता है, मौज में जो बोल देते हैं, हो जाता है। मनुष्य शरीर मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे की तरह से है, मुर्दा, मांस अंदर डालकर इसे गंदा मत करो। सच्चा सतसंग मिल जाने पर मनुष्य को असली उद्देश्य की जानकारी हो जाती है।