"मेरी वास्तविकता"
हाँ बस ये ही गलती की,
इमान मेरे हर काम रहा l
हाँ बस ये ही गलती की,
हर वफ़ा मेरे ही नाम रही l
हाँ बस ये ही गलती की,
उम्मीद नहीं नाउम्मीद किया l
हाँ बस ये ही गलती की,
मेरे आँखों में स्वप्न रहा l
हाँ बस ये ही गलती की,
स्वप्न में भी स्वाभिमान रहा l
हाँ बस ये ही गलती की,
हर कर्म मेरे है सात्विकता l
हाँ बस ये ही गलती की,
इमान में मैं कुर्बान रही l
हाँ बस ये ही गलती की,
स्नेह मेरे हर स्नेह रहा l
हाँ बस ये ही गलती की,
हर भाव कलुषता दूर रही l
हाँ बस ये ही गलती की,
हर सोंच मेरे फ़रियाद रही l
हाँ बस ये ही गलती की,
सत्कर्म मेरे हर मार्ग रही l
माना मेरी है गलती यही,
चेहरे में मुखौटा लगा नहीं l
कैसे मैं दूर करूँ गलती,
मेरे कर्मों में मेरी भक्ति l
स्वीकार करो फ़िर या न करो,
अब दूर नहीं होगी गलती l
रश्मि पाण्डेय
बिंदकी फ़तेहपुर