बच्चों की खांसी को न करें नजरंदाज, हो सकती है टीबी- डीटीओ
जिले में 471 टीबी ग्रसित बच्चे उपचाराधीन, 183 हुये स्वस्थ क्षय उन्मूलन
दो हफ्ते से अधिक खांसी व बुखार आने पर टीबी होने का खतरा- प्रोटीन व विटामिन युक्त आहार और साफ़-सफाई का रखें ध्यान
फतेहपुर। बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता वयस्कों की तुलना बेहद कमजोर होती है। जरा सी लापरवाही से बच्चों में सर्दी, खांसी, एलर्जी बढ़कर टीबी का रूप ले सकती है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ निशात सैयद शहाबुददीन एस एम यूनुस ने कहा कि बदलते मौसम में ज्यादातर अभिवावक बच्चों की खांसी को सामान्य खांसी या एलर्जी मानकर जांच कराना उचित नहीं समझते लेकिन यही सामान्य खांसी या एलर्जी टीबी का संकेत हो सकती है द्य इसी की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत वर्ष 2025 तक देश को क्षय रोग मुक्त बनाने के लिए जनमानस को जागरूक किया जा रहा है।
जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि बच्चों को यदि दो हफ्ते से अधिक लगातार खांसी, बुखार आ रहा है तो यह टीबी के लक्षण हो सकते हैं। शुरूआत में ही इसे पहचान लिया जाए तो गंभीर समस्या होने से इसे रोका जा सकता है। समस्त सरकारी चिकित्सालयों और स्वास्थ्य केन्द्रों पर निःशुल्क जांच व उपचार की सुविधा उपलब्ध है। एसटीएस डा0 अजीत ने बताया कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में लगातार वयस्कों के साथ बच्चों की भी जांच की जा रही है। इस साल 18 वर्ष तक के अब तक करीब 471 बच्चे टीबी से ग्रसित मिले हैं जिनका इलाज चल रहा है। इसमें करीब 183 बच्चे टीबी को मात दे चुके हैं। सभी बच्चों से अपील करते हैं की यदि आपको ख़ासी आ रही है तो मास्क का प्रयोग करें जिससे आपके द्वारा यह संक्रमण किसी और बच्चे को न फैले।
साफ़-सफाई व खानपान का रखें ध्यान दृ खांसते और छींकते समय उनके मुंह पर कपड़ा रखें। बच्चों को प्रोटीन व विटामिन युक्त पौष्टिक आहार, मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन अधिक कराएं। पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं। विटामिन सी वाले फल जैसे संतरा, नींबू का सेवन अधिक मात्रा में कराएं और साथ में मौसमी सब्जियों का सूप अवश्य पिलाएं। यह सभी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।
इनसेट --
बच्चों में टीबी के लक्षण - ऽ बार-बार बुखार आनाऽ दो हफ्ते से ज्यादा खांसी आना ऽ वजन न बढ़ना या वजन घटनाऽ सुस्त रहनाऽ भूख न लगनाऽ खांसी में बलगम आना
इनसे करें बचाव बारिश में बच्चों को बाहर के खाने से बचाएं। -धूल मिट्टी वाले रास्तों से गुजरते वक्त मास्क का इस्तेमाल अवश्य कराएं। अस्थमा से पीड़ित बच्चों को धूल-मिट्टी से बचाकर रखें।- बच्चों को घरों में डस्टिंग करते, झाड़ू लगाते समय दूर कर दें।