अस्थाई थाना राधा नगर में सत्येंद्र की मौत के आरोपी घूम रहे बेफिक्र

 अस्थाई थाना राधा नगर में  सत्येंद्र की मौत के आरोपी घूम रहे बेफिक्र



पुलिस पर ही लगे आरोप से गिरफ्तारी न होने के कारण सूबे के मुखिया पर लग रहे प्रश्नचिन्ह


फतेहपुर। पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार सिंह के तमाम प्रयासों के बावजूद विगत दिनों हुए अस्थाई थाना राधा नगर में सत्येंद्र कुमार की मौत का मामला कोई नया नहीं है। अस्थाई थाना बनने से पहले राधा नगर चौकी में पहले भी ऐसी वारदात हो चुकी है। मिली जानकारी के अनुसार चौकी में अपराधी व बेगुनाहों दोनों को ही प्रताड़ित करना, मारना पीटना वह उन से पैसों की मांग करना यह अक्सर देखा गया है। राधा नगर चौकी में चार साल से जमे कांस्टेबल दीपक कुमार और अभिषेक कुमार का ट्रांसफर हो जाने के बावजूद भी आखिरकार राधानगर अस्थाई थाना घोषित होने के बाद फिर से 2 महीने के तबादले के उपरांत इनका पुनः राधा नगर में तबादला क्यों किया गया यह बात किसी के भी समझ से परे है। वही चौकी इंचार्ज रहे सुना सुनील कुमार सिंह का प्रमोशन होने के बाद इस पीपीआरओ होने के बावजूद 1 महीने के अंदर अस्थाई थाना राधा नगर में पुनः तबादला होना समझ से बाहर है। वही हाल ही में हुए सत्येंद्र कुमार की मौत में इंस्पेक्टर सुनील कुमार सिंह, चौकी इंचार्ज विकास सिंह तथा सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहे कांस्टेबल दीपक कुमार की गिरफ्तारी को लेकर जहां लोग कयास लगा रहे थे वही पाया गया है कि जिलाधिकारी के आदेश के बावजूद व पुलिस अधीक्षक के प्रयासों के उपरांत भी यह तीनों और इनके साथ अन्य चार पुलिसकर्मियों जिनके खिलाफ सत्येंद्र कुमार की माता द्वारा सदर कोतवाली फतेहपुर में मुकदमा पंजीकृत करवाया गया था। अभी भी खुलेआम शहर में घूम रहे सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इंस्पेक्टर सुनील कुमार सिंह जनपद के ही एक अंबेडकर कॉलोनी में चुपके से रह रहे हैं। हालांकि यह कहना गलत होगा कि पुलिस विभाग को इसकी जानकारी नहीं है किंतु इन पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी न होने से जहां जनता में आक्रोश दिखाई दे रहा है वही पीड़ित परिजन भी अपने मृतक पुत्र को न्याय दिलाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। क्या आम जनमानस के लिए अलग कानून और पुलिसकर्मियों के लिए अलग कानून बनाया गया है। जहां देखा गया है कि किसी भी व्यक्ति पर मुकदमा होने पर कुछ ही समय पर उसकी गिरफ्तारी हो जाती है। वही हत्या के मुकदमे कई अन्य मामलों में इन पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज होने के बावजूद भी अभी तक इनकी गिरफ्तारी न होने से पुलिसिया कार्यवाही पर प्रश्नचिन्ह उठने लगे। एक ओर जहां फतेहपुर की जनता तथा मीडिया पुलिस अधीक्षक के अच्छे कार्यों के लिए दिन प्रतिदिन सराहना कर रही है। वही गिरफ्तारी न होने के कारण न सिर्फ पुलिस विभाग के अन्य अधिकारियों बल्कि पुलिस अधीक्षक पर भी प्रश्न चिन्ह उठना लाज़मी है। क्या पुलिस विभाग इन्हें बचाने का प्रयास कर रहा है या फिर उचित कार्यवाही कर मृतक सत्येंद्र कुमार को न्याय दिलाया जाएगा। यह सब तो तब हो पाएगा जब विभागीय मानदंडों को छोड़कर पुलिस इन पुलिसकर्मियों पर लगे मुकदमों को संज्ञान में लेकर कार्रवाई करेगी और गिरफ्तारी के लिए पुलिस विभाग को खुद-ब-खुद हाथ बढ़ाने होंगे ताकि जनता का पुलिस अधीक्षक व अन्य पुलिस अधिकारियों पर जो विश्वास कायम है वह बना रहे। सूबे के मुखिया को इस बाबत ध्यान देना होगा और जल्द से जल्द कार्यवाही कर मृतक को न्याय दिलाने का प्रयास करना होगा ताकि लोगों में बनी उनकी छवि धूमिल ना हो सके।

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