भीमपुर! तालाब और पशुचर की भूमि में बने
मकान, हो रहा मत्स्य पालन, प्रशासन बेखबर
फतेहपुर। सरकारी भूमि को अवैध कब्जेदारों के चंगुल से मुक्त कराने का जहॉ अभियान चलाया जा रहा है, वही धाता विकास खण्ड की ग्राम पंचायत भीमपुर में गांव के बीचों-बीचों स्थित 18 बीघे का तालाब अतिक्रमण के चलते अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। तालाबा और पशुचर की जमीन में पक्के मकानों बन जाने के अलावा तालाब में अवैध तरीके से मत्स्य पालन का कारोबार चल रहा है। तालाब को चौतरफा घेरकर गांव के बीच में कर लिया गया है। कई मरतबा शिकायत होने के बाद भी लेखपाल की मिली भगत से तालाब व पशुचर की जमीन खाली नही करायी जा रही है।
कुछ ग्रामीणों ने आज यहॉ बताया कि तालाबी गाटा संख्या 432 जो दस बीघे का क्षेत्रफल है, में अवैध तरीके से गांव के ही परिहार पासी पुत्र राजा पासी ने मत्स्य पालन कर रखा है जो पूरी तरह से अवैध है। इससे जुड़े हुये दूसरे गाटा संख्या 433 जो सात बीघे का है, जो राजस्व विभाग ने मत्स्य पालन हेतु पट्टे पर दे रखा है। उक्त दोनों तालाबों का रक्बा अलग-अलग जरूर है मगर यह आपस में मिले हुये है। दोनों तालाबों के बीच अवैध तरीके से कब्जा करके करीब दर्जनभर मकान खड़े कर लिये गये है। इतना ही नही दोनों तालाबों के चारों ओर कब्जा करके मकान बना लिये जाने से इसका क्षेत्रफल बमुश्किल 8 बीघे ही बचा है। इसी तालाब से सटे हुये पशुचर की जमीन संख्या 434 पूरी तरह घेर ली गई है। पशुचर की जमीन में कुवांरे पासी, टेनी पासी, शिवबली पासी तथा तालाबी नम्बर में परिहार पासी, राधेश्याम, बसंत, जियालाल, भईयालाल सहित दर्जनों मकान बने हुये है।
तालाब को चौतरफा घेर लिये जाने की वजह से इसमें मवेशियों को पानी पिलाने के लिये कोई रास्ता नही बचा है। बताया गया है कि तालाब और पशुचर की जमीन में हुये अतिक्रमण को हटाने के लिये दो साल पहले भी उप जिलाधिकारी खागा से शिकायत की गई थी लेकिन तत्कालीन लेखपाल प्रेमचन्द्र पटेल ने उल्टी रिपोर्ट भेजकर अतिक्रमण कार्यो के हौसले को और भी बढ़ा दिया। यही वजह है कि तालाब का अस्तित्व लगातार समाप्त होता जा रहा है। ग्रामीणों ने तालाबी और पशुचर की जमीन में हुये अतिक्रमण को खाली कराये जाने की मांग की है। अग्निकाण्ड की घटना होने पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी भी तालाब के किनारे समुचित तरीके से नही पहुंच सकती।