दो दशक से पालिका के स्टोर में धूल खा रही है रईस नानिक प्रसाद श्रीवास्तव की प्रतिमा

 दो दशक से पालिका के स्टोर में धूल खा रही है रईस नानिक प्रसाद श्रीवास्तव की प्रतिमा



आईपीएस पौत्र ने सीएम से माँगा “नानिक प्रसाद श्रीवास्तव स्मृति द्वार”


कमला लाइब्रेरी के समाप्तप्राय अस्तित्व पर भी जताया दुःख, त्वरित कार्यवाही की माँग


सभासद, उद्योग व्यापार मण्डल व कायस्थ मंच ट्रस्ट पहलें भी कर चुका है माँग

   

(प्रमोद श्रीवास्तव)


फ़तेहपुर। जनपद की ख्यातिलब्ध हस्ती रईस नानिक प्रसाद श्रीवास्तव की स्मृति में नगर पालिका परिषद (फ़तेहपुर) के मुख्य द्वार का नामकरण “नानिक प्रसाद श्रीवास्तव स्मृति द्वार” के रूप में करने की माँग फिर एक बार ज़ोर पकड़ने लगी है। यूटी कैडर के आईपीएस (सेवानिवृत्त)  प्रदीप श्रीवास्तव (नानिक प्रसाद ज़ी के पौत्र) ने प्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्य नाथ को पत्र भेजकर यह माँग की है। इस पत्र में कमला लाइब्रेरी (अपनी पुत्री) की ज़मीन पर बेतहासा अवैध क़ब्ज़ो और लाइब्रेरी का अस्तित्व समाप्त होने पर गहरा दुःख व्यक्त किया गया है।

ग़ौरतलब है कि लगभग नब्बे वर्ष पूर्व शहर के मसवानी मोहल्ला निवासी रईस नानिक प्रसाद श्रीवास्त ने अपनी जागरूकता का परिचय देते हुए तत्कालीन अंग्रेज़ी सरकार से फ़तेहपुर शहर में “म्युनिसिपिलिटी” की स्थापना की आवश्यकता जताई और तक़रीबन 19 बीघे अपनी निज़ी ज़मीन भी इसकी स्थापना के लिये दान की। इतना ही नहीं तत्कालीन कलेक्टर के कहने पर वह नगर पालिका (म्युनिसिपिलिटी) के पहलें चेयरमैन बने ज़ो अनवरत तीस वर्षों तक इस पद पर रहे।

सूत्रों के मुताबिक़ आज़ादी के बाद स्थानीय नगर पालिका के मुख्य द्वार के निकट उनकी प्रतिमा भी स्थापित हुई, ज़ो वर्ष 2005 तक नगर पालिका के पुराने भवन के बाहर लगी रही। तत्कालीन चेयरमैन शब्बीर खां के कार्यकाल में जब नगर पालिका परिषद (फ़तेहपुर) के नये भवन के लिये तोड़-फ़ोड शुरू हुईं तो इस प्रतिमा को हटाकर पालिका के स्टोर में सुरक्षित करवा दिया गया किन्तु राजनैतिक महत्वाकांक्षा के चलते पहले अजय अवस्थी के नेतृत्व वाले बोर्ड ने इस प्रतिमा की पुनः स्थापना कराना उचित नहीं समझा,  उसके बाद चंद्रप्रकाश लोधी और फिर नज़ाकत ख़ातून भी इस मद में गंभीर नहीं हुईं! नतीज़न रईस नानिक प्रसाद श्रीवास्तव की प्रतिमा लगभग अट्ठारह वर्षों से पालिका के स्टोर में धूल-धूसरित हालत में पड़ी है…!

अनवरत तीस वर्षों तक म्युनिसिपिलिटी (नगर पालिका) के चेयरमैन और दो दशक से अधिक समय तक ज़िला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहने वाले रईस नानिक प्रसाद श्रीवास्तव ज़ी की प्रतिमा पालिका परिसर में पुनः स्थापित करवाने और नगर पालिका पालिका परिषद (फ़तेहपुर) के मुख्य द्वार का नामकरण “नानिक प्रसाद श्रीवास्तव स्मृति द्वार” के रूप में करने की माँग पूर्व में भी होती रहीं है। लगभग दस वर्ष पूर्व तत्कालीन सभासद संजय लाला (भाजपा नेता) ने पालिका बोर्ड की बैठक में इस माँग को ज़ोर-शोर से उठाया था, किन्तु उनकी आवाज़ नक्कारख़ाने में तूती साबित हुई। इसके अलावा पिछलें दस वर्षों में चार बार ज़िला उद्योग व्यापार मण्डल के अध्यक्ष किशन मेहरोत्रा ने उपरोक्त माँग के बाबत मुख्यमंत्री, ज़िलाधिकारी और नगर पालिका परिषद के चेयरमैन/अधिशासी अधिकारी को ज्ञापन भेजें/सौंपे किन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुईं।

विगत 23 अक्टूबर को कायस्थ मंच (उ.प्र.) के प्रान्तीय अध्यक्ष विनोद श्रीवास्तव व प्रांतीय महामन्त्री डा. अनुराग श्रीवास्तव ने ज़िला अधिकारी एवं नगर पालिका परिषद की चेयरमैन/ईओ को उपरोक्त विषयक पत्रक सौंपते हुए त्वरित कार्यवाही की अपेक्षा की किन्तु जिम्मेदारों ने इस दिशा में जरा भी गंभीरता नहीं दिखाईं।

उपरोक्त प्रकरण को इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के स्तर पर उठाया गया है। नानिक प्रसाद श्रीवास्तव के पौत्र एवं यूटी कैडर के आईपीएस (सेवानिवृत्त) प्रदीप श्रीवास्तव ने प्रदेश के मुख्यमन्त्री को एक पत्र भेजकर फ़तेहपुर नगर पालिका परिषद परिसर में उनकी ( रईस नानिक प्रसाद श्रीवास्तव) की मूर्ति को पुनः स्थापित करवाए ज़ाने और पालिका परिषद के मुख्य द्वार का नामकरण  “नानिक प्रसाद श्रीवास्तव स्मृति द्वार” करने की पुरज़ोर माँग की है।

इस पत्र में शहर के ज्वालागंज इलाक़े में स्थित चर्चित कमला लाइब्रेरी जिसे नानिक प्रसाद ने अपनी पुत्री की स्मृति में स्थापित करवाया था, उसके 22 बीघे भू-भाग पर अवैध क़ब्ज़ो और लाइब्रेरी का अस्तित्व समाप्त प्राय होने पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए त्वरित कार्यवाही की माँग की गई है। शिकायतकर्ता ने उपरोक्त पत्र की प्रति सूबे के नगर विकास मंत्रालय, ज़िलाधिकारी (फ़तेहपुर) और नगर पालिका परिषद (फ़तेहपुर) की चेयरमैन/अधिशासी अधिकारी को भी भेजकर त्वरित कार्यवाही की माँग की है।

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