निकाय चुनाव समाजवादी पार्टी: 28 साल, 05 चुनाव, जीत सिर्फ़ एक

 निकाय चुनाव समाजवादी पार्टी: 28 साल, 05 चुनाव, जीत सिर्फ़ एक



 नाफीसुद्दीन दो बार बनें प्रत्याशी, सपा ने पहली बार विशुद्ध बैकवर्ड पर जताया विश्वास, एम-वाई फैक्टर के साथ साथ अन्य पिछड़ों ने बढ़ाया ताकत


चार बार मुस्लिम, एक बार वैश्य, इस बार मौर्य समाज को मिली तरजीह


खालिदा खातून से शुरु हुआ सफ़र राम प्यारे मौर्य तक पहुंचा


नज़ाकत खातून ने पहली बार जीता था पिछला चुनाव

            

फतेहपुर। निकाय चुनाव की सक्रिय राजनीति में समाजवादी पार्टी का विशुद्ध जुड़ाव लगभग 28 वर्षों पूर्व 1995 में होने के बाद हुए आधा दर्जन चुनाव हुए और पार्टी ने सदर नगर पालिका परिषद की सीट के लिए लगभग सभी चुनावों में प्रभावी प्रदर्शन किया किन्तु सफलता सिर्फ़ पिछ्ले चुनाव में तब मिली जब विपरीत परिस्थितियों के बावजूद नज़ाकत खातून चेयरमैन निर्वाचित हुईं। यह पहला मौका है जब सपा ने विशुद्ध बैकवर्ड प्रत्याशी उतारा है, जो सत्तारूढ़ दल का बड़ा सिरदर्द साबित हो रहा है। वैसे अंदरूनी गुटबंदी से प्रायः सपा का खेल बिगड़ता रहा है किन्तु इस बार हालात कुछ बदले बदले से नजर आ रहे हैं।

बताते चलें कि लगभग तीन दशक पूर्व अस्तित्व में आई समाजवादी पार्टी ने 1995 में हुए निकाय चुनाव में पहली बार सक्रिय हुईं। इस चुनाव में पार्टी ने तत्कालीन जिलाध्यक्ष/पूर्व सांसद स्व. सै. लियाकत हुसैन की पुत्री खालिदा खातून को प्रत्याशी बनाया था किन्तु पार्टी के ही एक अन्य कद्दावर नेता वसीम अंसारी द्वारा विद्रोह करके अपनी पत्नी अख्तर अंसारी को चुनावी मैदान में उतार देने से सपा प्रत्याशी चुनाव हार गईं।

अगले चुनाव में समाजवादी पार्टी ने वैश्य समाज से बृज मोहन गुप्ता उर्फ़ नन्हें जौहरी को प्रत्याशी बनाया किन्तु इस चुनाव में सपा पर बसपा प्रत्याशी शब्बीर खां भारी पड़े। अगले चुनाव में सपा ने नफीस उद्दीन को प्रत्याशी बनाया किन्तु कांग्रेस प्रत्याशी अजय अवस्थी उन पर भारी पड़ गए।

समाजवादी पार्टी ने इसके अगले चुनाव में भी नफीस उद्दीन को प्रत्याशी बनाया किन्तु वह फिर एक बार पराजित हुए और कांग्रेस बागी चन्द्र प्रकाश लोधी चेयरमैन बने। पिछ्ले चुनाव में सीट महिला के लिए आरक्षित होने पर समाजवादी पार्टी ने हाजी रजा मोहम्मद की वृद्ध मां नज़ाकत खातून को प्रत्याशी बनाया और वह पहली बार सपा के लिए चेयरमैनी की सीट जीतने में सफ़ल रहीं।

समाजवादी पार्टी ने निकाय चुनाव के इतिहास में पहली बार किसी विशुद्ध पिछड़े वर्ग से प्रत्याशी बनाया है। वरिष्ठ अधिवक्ता राज कुमार मौर्या के चुनाव का आधार एम-वाई मैथड के साथ साथ अन्य पिछड़ी और दूसरे दलों के प्रत्याशियों से सम्बन्धित असंतुष्ट माहौल बना सकते हैं।

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