सावन के प्रथम सोमवार को नर्मदेश्वर धाम सरसौल में भक्तों का उमड़ा जनसैलाब
कानपुर। सरसौल स्थित स्वयंभू नर्मदेश्वर मंदिर में सावन के प्रथम सोमवार को भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा।सुबह से शिव भक्तों का ताता लगा हुआ है। नरवल तहसील के सरसौल में श्री नंदेश्वर धाम मंदिर बहुत ही पुराना स्थापित है मंदिर के उपाध्यक्ष हरिपाल सिंह यादव ने बताया कि कई वर्षों पहले इस मन्दिर के स्थान पर एक बहुत बड़ा जंगल हुआ करता था। आसपास के लोग गाय भैंस आदि जानवर चराया करते थे। एक दिन एक गाय जंगल की झाड़ियों में जाकर छिप गई और कुछ देर बाद उस झाड़ी से बाहर निकल आई। शाम को जब चरवाहा गाय दुहने को बैठा तो दूध ही नही निकला चरवाहा फिर दूसरे दिन उसी जंगल मे गाय चराने गया और शाम को फिर दूध दुहने के लिए बैठा तो गाय ने दूध नही दिया। इसी तरह एक सप्ताह सिलसिला चलता रहता है। चरवाहा परेशान हो गया एक सप्ताह के बाद अगले दिन चरवाहा जब गाय चराने गया तो गाय उसी झाड़ी में चली गई चरवाहा गाय के पीछे पीछे गया तभी उसने देखा कि गाय के थन से दूध निकल रहा है उसने गुस्से में आकर हाथ में लिए कुल्हाड़ी को गाय पर फेंक कर मारी लेकिन वह कुल्हाड़ी जमीन में गिर गयी और तभी वहां खून दिखाई दिया जब उसने पास आकर देखा तो आश्चर्यचकित हो वहां झाड़ी में एक शिवलिंग पड़ी थी जिससे खून निकल रहा था चरवाहा हाथ जोड़कर रोने लगा और अपनी गलती का पश्चाताप करने लगा वह दौड़कर अपने गांव गया और बड़े बुजुर्गों को इस बारे में जानकारी दी गांव के लोग वहां आए और झाड़ी से शिवलिंग को बाहर निकालकर शिवलिंग में घी लगाया जिससे शिवलिंग से रक्त निकलना बंद हो गया। झाड़ी के आसपास साफ-सफाई करके विधि-विधान से पूजा-अर्चना करके शिव मन्दिर का निर्माण कराया और तब से शिव मन्दिर का नाम नन्देश्वर धाम पड़ गया। शिव भक्त आशीष तिवारी उर्फ छोटू तिवारी ने बताया कि दूर-दूर तक मंदिर की बहुत मान्यता है। सावन में लाखों की तादात में शिव भक्त यहां आकर श्री नन्देश्वर बाबा के दर्शन करते हैं और उनसे मन की मुराद पूरी करने की कामना करते है। भक्तों द्वारा सच्चे मन से की गई मनोकामना बाबा भोलेनाथ पूरी करते है सावन के पहले सोमवार में पुलिस प्रशासन द्वारा भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।