श्रीमद भागवत कथा का प्रथम दिन कलश यात्रा के साथ हुआ शुभारंभ

 श्रीमद भागवत कथा का प्रथम दिन कलश यात्रा के साथ हुआ शुभारंभ



फतेहपुर।हसवा ब्लॉक के मलाव गांव में भव्य श्री मद भागवत कथा का आयोजन कलश यात्रा के साथ चलने वाली भागवत कथा का शुभारंभ किया गया।

जिसमे महिला पुरुष भक्तों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया 21 कलश यात्रा के साथ महिला सद्गलु पीत वस्त्र पहनकर सर पर कलश धारण कर राम सजीवान पांडे जी के यहां  आयोजन किया गया था। वही आज सोमवार को कथा का प्रथम दिन है। पूरे गांव के प्रमुख मार्गो से होती हुई बैंड बाजों के साथ और डीजे के साथ पुणे कथा स्थल पर पहुंचे। वही फतेहपुर से आए महाराज आचार्य श्री पंडित कमल किशोर शुक्ल जी ने बताया की पहले दिन कथा का आरंभ किया। उन्होंने कहा की कथा की सार्थकता तभी सिद्ध होती है जब हमें अपने जीवन और व्यवहार में धारण करें। श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से जन्म जमांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। 

ब्यास पंडित कमल किशोर शुक्ल जी ने बताया की आज प्रथम दिन कथा का आरंभ भागवत गीता के पहले अध्याय का नाम अर्जुन विषाद योग है। वही महाराज जी ने बताया की इस अध्याय में कुरुक्षेत्र के मैदान में उपस्थित बंधुओ और संबंधियों को सामने देखकर अर्जुन के मन में उठे विषाद और मन स्थित का वर्णन किया गया है। जिसे संजय ने ध्रस्तराष्ट्र को बताते है। संजय ने बताया की सुनो राजन अर्जुन सामने देख सभी को श्री कृष्ण से बोल रहा है। की ये मेरे भाई है। और ये भीष्म पितामह जो मेरे सामने खड़े हुए है। ये मेरे दादा है। और सामने जो मेरे खड़े है। ये तो मेरे अपने है। इनके ऊपर मैं कैसे शस्त्र उठा सकता हूं। मै जिन हाथों में खेला हूं उन्हें में कैसे काट सकता हूं। पितामह ने मुझे गोद में खेलाया है। तो मैं उन्हें कैसे मार सकता हूं। वही सामने खड़े मेरे भाई है। जिनके साथ मैं कभी खेला करता था। और मैं उनसे कैसे लड़ सकता हूं। यहां जितने मुझसे लड़ने आए है। वो सभी मेरे रिश्तेदार और सगे संबंधी दोस्त है। तो मैं उनके ऊपर कैसे हाथ उठा सकता हूं। अगर मैं इनको मरता हूं तो मुझे पाप लगेगा। 

वही भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को समझाते हुए कहा की ये अर्जुन सुनो ये जो तुम्हारे सामने तुमसे लड़ने आए है। ये तुम्हारे आपने नही है। अगर ये तुम्हारे आपने होते तो तुमसे लड़ने न आते वही भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को बताया की हे पार्थ 

सुनो मृत लोक में सब तुन्हारे है। 

लेकिन मरने के बाद कोई किसी का नही है। तो हे पार्थ सुनो ये जो तुम्हारे सामने खड़े है। इनको तुम अपने समझ कर न देखो इन्हे अपना दुश्मन समझ कर देखो तुमको इनके ऊपर खूब क्रोध आ जायेगा। और तुमको ये पापियों को मारने में कोई भी पाप नही होने वाला है। हमेशा से सत्य की जीत हुई है। और असत्य हमेशा हार हुई है। वही इस दौरान आयोजक रामसजीवान पाण्डेय, आशीष पाण्डेय, आशुतोष पांडेय, सुधांशु पाण्डेय, राधे श्याम तिवारी, राजू पाण्डेय, छोटू सविता, अजय मौर्य, यशु पाण्डेय, बिरजू पांडे, मोनू साहू आदि लोग मौजूद रहे।

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