अग़र आप सही हैं तो

 अग़र आप सही हैं तो





बेशक कठिनाई आती हैं, 

              विकराल मुश्कलें होती हैं

 सम्मान का मर्दन करने को, 

              सद्भाव का भंजन करने को। 

 एक घेरा, घेरा जाता है, 

                अगर आप सही हैं तो। 

अति व्याप्त अराजकता होती, 

                 दुर्जन की सक्रियता होती। 

भेदन भी मान का होता है, 

                 सम्मान गिराया जाता है,                  

पर आत्म प्रबल होता अति है, 

                      अग़र आप सही हैं तो। 

गर्जन भी सिंह सा होता है, 

                      अग़र आप सही हैं तो। 

कितनी भी मुश्किल आ जाये, 

             विकराल रूप धर कर कर के। 

अति व्यूह रचे चाहे जितना, 

            धोखे और पानी पीकर के। 

छल कपट ह्रदय में व्याप्त रखे,

              संकुचित भाव मन में रखे। 

फ़िर भी पहचान अलग होगी

              मुस्कान अधर संचित होगी। 

अपराजित जीवन-सार सदा, 

             पुस्तक-जीवन का मान सदा। 

हर हर्फ़ सुनहरे हो करके, 

             दान अमर जीवन होगा। 

जीवन की सार्थकता होगी, 

            परिपूर्ण अभय आभा होगी। 

विश्वास रहेगा अति मन में, 

            अभिलाषा भी सिञ्चित होगी। 

नहीं घटेगा मान कभी, 

              सत्वर सम्मान वृद्धि होगी। 

नैतिकता खत्म नहीं होगी, 

               अग़र आप सही हैं तो। 

अम्बर की ज्योति विकट होगी, 

             आत्मिकता प्रबल अति होगी, 

कायर भी औंधे मुंह होंगे, 

             अगर आप सही हैं तो। 

 संसार अमर जीवन होगा, 

              अग़र आप सही हैं तो। 

अग़र आप सही हैं तो, 

                      अग़र आप सही हैं तो। 

 




रश्मि पाण्डेय (नीरनिधि) 

बिन्दकी, फतेहपुर

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