*गलत पुराने तरीकों से नहीं बल्कि सही तरीके से पितरों को रोज खिलाकर किया जाता है प्रसन्न- सन्त उमाकान्त जी महाराज*
*जानकार ही बता सकता है सही तरीका ताकि ये परेशान न करें*
उज्जैन (म. प्र.)सभी तरह के उपायों के जानकार, परम् सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 20 सितंबर 2017 को अपने उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित संदेश में बताया कि लोगों की सोच यह है कि पित्र पक्ष में पित्र आते हैं, उनको खुश किया जाए। कुछ लोग कहते हैं हमारे दादाजी, पिताजी, माताजी दिखाई पड़ी, इनको खिलाया जाए। मृत्यु के बाद संस्कार, रस्म आदि करते हैं। कुछ विद्वान बताते हैं कि आहुति हवन पितरों, देवताओं को मिलेगा लेकिन वो उन्हें मिलता है या नहीं मिलता, इसकी जानकारी बहुतों को नहीं होती।
*पित्र किसको कहते हैं*
पित्र वो जिनकी अकाल मृत्यु हुई और प्रेत योनि में चले गए। अब यह तो मालूम नहीं हो पाता किसी को कि कहां गए। स्वर्ग गए या बैकुंठ गए या दादाजी, पिताजी कुत्ता-बिल्ली बनकर करके इसी घर में आ गए। लेकिन विद्वानों ने कहा अगर प्रेत योनि में चले गए तो तुमको परेशान करेंगे। क्योंकि इनके मानव शरीर को तुमने जला दिया, नष्ट कर दिया। तो सबसे ज्यादा जलाने वाले के ऊपर ही गुस्सा प्रेत आत्माएं उतारती हैं।
*पितरों को अगर खुश करने का तरीका मालूम हो तो परेशान नहीं करेंगे*
लोग उनकी शांति के लिए क्वार के महीने में भी पिंडदान करवाते, पितरों, कन्याओं, ब्राह्मणों को को भोजन कराते। खीर-पूडी, पुआ-पकोड़ा आदि खुशबू की ही चीज बना करके उनको खिलाते हैं। प्रेतों और देवताओं, दोनों का भोजन सुगंधी होता है। संयम से न रहने वालों के लिए क्वार के महीने में तरह-तरह की बीमारियां भी मौसम के बदलाव से आती हैं। यह जो देवता जो पित्र हैं, खुश होने पर लोगों को परेशान नहीं करते।
*अकाल मृत्यु होने पर प्रेत योनि चले गए पितरों को खुश करने का तरीका*
देखो प्रेतों को 2-4-15 दिन खिला देने से वह खुश नहीं होते हैं। उनकी भूख बराबर बनी रहती है। जैसे कुछ दिन बाद खाना न मिले तो खाना देने वाली मां को ही तो परेशान करोगे। ऐसे ही ये भी बहुत परेशान करते रहते हैं क्योंकि इनकी भूख बहुत होती है। पेट बहुत बड़ा होता है तो हमेशा भूखे ही रहते हैं। (सुगंधी के अलावा) कुछ खा नहीं पाते हैं, सारी इंद्रियां तेज होती हैं इसलिए परेशान किए रहते हैं। सुबह सूरज की तरफ पानी देने आदि जिस तरीके से लोग खिलाते हैं उस तरह से वह खुश नहीं हो पाते हैं। जब तरीका मालूम हो जाता है कि पितरों को कैसे खुश किया जाए, रोज खिला कर के खुश किया जा सकता है, तो इनसे शांति मिलती है। नहीं तो शांति मिलने वाली नहीं है।