पर्युषण पर्व के अंतिम दिन छमा वाणी कार्यक्रम धूम धाम से मनाया गया
बाँदा - आज पर्युषण पर्व के अंतिम दिन छमा वाणी कार्यक्रम धूम धाम से मनाया गया, जैन चैत्यालय छोटी बाजार में कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें बक्ताओ ने छमा धर्म के बारे में बताया, बाहर से पधारे विद्धान पंडित चितरंजन जी के बताया कि
क्षमा करने से संस्कार बनते हैं और व्यक्ति हमेशा प्रसन्नचित रहता है.
क्षमा यह आत्मा का धर्म है इसलिए जो मानव अपना कल्याण चाहते हैं, उन्हें हमेशा इस भावना की रक्षा करनी चाहिए।
क्षमावान् मनुष्य का इस लोक और परलोक में कोई शत्रु नहीं होता है।
क्षमा ही सर्व धर्म का सार है । *क्षमा ही सम्यग्दर्शन, ज्ञान, चारित्र रूप आत्मा का मुख्य सच्चा भंडार है।
पंडित सुरेंद्र कुमार जैन ने कहा कि क्रोध के क्षणों में क्षमा धारण करना ही सच्चा पुरुषार्थ है ।
जिसके ह्रदय में अहंकार है वह दुखी है और *जिसने अपने अहंकार को विसर्जित किया, मात्र वही सुखी है।* कहते है कि : ‘ *उत्तम क्षमा जहां मन होई, अंतर बाहर शत्रु न कोई।’–* अर्थात् उत्तम क्षमा को धारण करने से जीवन की समस्त कुटिलताएं समाप्त हो जाती हैं तथा मानव का समस्त प्राणी जगत से एक अनन्य मैत्रीभाव जागृत हो जाता है।
क्षमा करने से क्षतिग्रस्त रिश्ते सुधर सकते हैं क्षमा करने से संस्कार बनते हैं और व्यक्ति हमेशा प्रसन्नचित रहता है.
क्षमा आत्मा का धर्म है, इसलिए
क्षमा करने से भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है.।
गलती न होने पर भी, किसी का दिल दुखाने पर क्षमा मांगना श्रेष्ठ है.
बिना मांगे क्षमा करना, क्षमा मांगने से ज़्यादा बड़ी बात है।
कार्यक्रम के उपरांत समाज सेवा में अग्रणीय रहे लोगो का सम्मान समारोह हुआ जिसमें श्री भूपत जैन जी को कर्मबीर एवं श्री मुकेश जैन जी को गुरु भक्त की उपाधि से अलंकृत किया गया।
इन अबसर पर समाज के सेकड़ो लोग रहे ओर आपस मे एक दूसरे से विगत साल में जाने अनजाने में हुई गलतियों के लिए छमा मांगी।