धुंधकारी, और भक्त प्रह्लाद कि कथा सुन भक्त हुए भाव विभोर
असोथर /फतेहपुर।श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य पंडित श्री राम कृष्ण तिवारी जी ने श्रोताओं को कलश यात्रा के पश्चात धुंधकारी और भक्त प्रहलाद के चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि श्रीमद्भागवत पुराण के श्रृवण से धुंधकारी धन्य हो गया प्रहलाद का चरित्र पुत्र व पिता के सम्बंध को प्रदर्शित करता हैं,
हथगांव ब्लाक के भैरंमपुर गांव में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत पुराण का आयोजन भगौती प्रसाद तिवारी के द्वारा शिवमन्दिर में किया गया है मुख्य यजमान शोभा शुक्ला है ईश वंदना के बाद कथा वाचक ने कहा कि यदि भक्त सच्चा हो तो विपरीत परिस्थितियां भी उसे भगवान की भक्ति से विमुख नहीं कर सकती, राक्षस प्रवृत्ति के हिरणाकश्यप जैसे पिता को प्राप्त करने के बावजूद प्रह्लाद ने ईश्वर भक्ति नहीं छोड़ी,सच्चे अर्थों में कहा जाए तो प्रह्लाद ने पुत्र होने का दायित्व भी निभाया, उन्होंने कहा कि पुत्र का यह सर्वोपरि दायित्व हैं कि यदि उसका पिता दुष्ट आचरण का हो तो उसे भी सुमार्ग पर लाने के लिए सदैव प्रयास करने चाहिए, राक्षस होने के चलते हिरन्णकश्यप ने प्रह्लाद की बात को नहीं माना, एसे में भगवान नर्सिंह द्वारा उसका संहार किया गया, उसके बाद भी प्रह्लाद ने अपने पुत्र धर्म का निर्वहन किया, अपने पिता की सद्गति के लिए ईश्वर से प्राथना की,प्रह्लाद की कथा सुन कर भक्त भाव विभोर हो गए।