*पत्नी के सपनों को पंख देकर खुद अकेला रह गया पति: कानपुर के बजरंग भदौरिया की कहानी*
कानपुर के रहने वाले बजरंग भदौरिया ने अपनी पत्नी के सपनों को साकार करने के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया। इंजीनियर की नौकरी छोड़कर उन्होंने अपनी पत्नी की सरकारी नौकरी की तैयारी में मदद की। उनकी मेहनत रंग लाई, और पत्नी को दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में नौकरी मिल गई। लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसने बजरंग के जीवन को झकझोर कर रख दिया।
*पति का आरोप: नौकरी मिलते ही पत्नी ने छोड़ा साथ*
बजरंग का दावा है कि उनकी पत्नी ने नौकरी मिलने के बाद उन्हें छोड़ने का फैसला कर लिया। बजरंग के मुताबिक, उनकी पत्नी का कहना है कि अगर वह उसे 1 करोड़ रुपए दें, तो ही वह उनके साथ रहेगी। इस बयान ने बजरंग को गहरे आघात में डाल दिया है।
*पत्नी का पक्ष: सपनों की उड़ान में बाधा नहीं चाहतीं*
पत्नी का कहना है कि वह अपने भविष्य को लेकर गंभीर हैं और अपनी शर्तों पर जिंदगी जीना चाहती हैं। उन्होंने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनके और बजरंग के विचारों में काफी मतभेद हैं, जिसकी वजह से साथ रहना मुश्किल हो गया है।
*समाज में बहस: सपनों का समर्थन या विश्वासघात?*
इस घटना ने समाज को दो धड़ों में बांट दिया है। कुछ लोग बजरंग की त्याग भावना की सराहना कर रहे हैं और इसे पत्नी का विश्वासघात मान रहे हैं। वहीं, कुछ का मानना है कि हर व्यक्ति को अपनी जिंदगी के फैसले लेने का अधिकार है।
*क्या कानून देगा इंसाफ?*
बजरंग ने इस मामले को कानूनी लड़ाई तक ले जाने का फैसला किया है। वह इस बात पर अडिग हैं कि उन्होंने अपनी पत्नी के सपनों के लिए सब कुछ त्याग दिया, और अब उन्हें इस स्थिति में छोड़ दिया गया।
यह घटना सिर्फ एक रिश्ते की कहानी नहीं है, बल्कि त्याग, भरोसे और रिश्तों की बदलती परिभाषा पर एक गहरा सवाल खड़ा करती है।