फतेहपुर ।
लॉकडाउन में गैरप्रांतों में फंसे मजदूरों के आने का सिलसिला नहीं थम रहा है। गुरुवार को फरीदाबाद से साइकिल से बिहार जा रहे मजदूर शहर पहुंचने पर अपनीं बयां कर रो पड़े। लॉकडाउन में गाढ़ी कमाई खर्च से भूख मिटाने के लिए जेब खाली होने से मजदूर खाते आहत दिखे। बताया कि उनके पास अपने घर जाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। और वह 14 सौ किमी की दूरी नापने के लिए साइकिलों से निकले और बिहार प्रांत के कटरा जिले के 25 युवक लॉकडाउन में फरीदाबाद में फंस गए थे। मजदूर रामकिशोर और राकेश ने बताया कि करीब एक माह तक जुटाई गई रकम से लाकडाउन खुलने का इंतजार कर रहे थे। मकान मालिक भी कमरा खाली करने का बना रहा था। रकम खर्च होने के कारण दो वक्त पेट भरने की जुगाड़ नही था। गुहार लगाने के बाद वहां कोई मदद को तैयार नहीं हुआा। मजबूरी 14 साइकिलों में एक दूसरे को बारी-बारी से खींचते हुए सफर पर निकल पड़े। यूपी में दाखिल होने के बाद मिली राहत
मजदूरों ने बताया कि फरीदाबाद से निकलने पर रास्ते में कई जगह रोका गया लेकिन कहीं भी उन्हें खाना-पानी को किसी नहीं पूछा। यूपी सीमा में दाखिल होने के बाद उन्होंने सीमा पर पुलिस द्वारा लंच पैकेट मिला। भूख मिटने पर उन्होंने राहत की सांस ली। रास्ते में उन्हें कई जगह खाना और जरूरत का सामान मिला। बताया कि फरीदाबाद से उनके जिले की दूरी 14 सौ किमी है। आधे से अधिक रास्ता तय हो गया। अब जल्द अपने गांव पहुंच जाएंगे।
इसी प्रकार किशनपुर थाना क्षेत्र के लोहारन डेरा मजरा रायपुर भसरौल गांव के रहने वाले रामराज का पुत्र राजेंद्र और ज्ञान सिंह का पुत्र राजेन्द्र सिंह अहमदाबाद में एक काटन मिल में काम करते हैं। लाकडाउन के बाद मिल बंद हो गई इसके बाद न उनके खाने का ठिकाना रहा और न रहने का। दोनों साथी अपना-अपना बैग लिए और 20 अप्रैल को पैदल ही चल दिए। बताया कि रोजाना करीब सौ किलोमीटर की पैदल यात्रा की तब जाकर दस दिन बाद अपने घर पहुंचे। इस दौरान रास्ते में उन्होंने बिस्किट, लाई और नमकीन खाया। वहीं ग्रामीणों की सूचना पर स्थानीय अस्पताल में जांच की गई और 14 दिन तक गांव के बाहर विद्यालय में रहने का निर्णय लिया है।