लॉक डाउन के बीच शराब की बिक्री कहीं अपराध का बढ़ावा तो नही 


- गरीब तबको के घरो मे तूफ़ान ला सकती है शराब
लाँकडाउन का ऐसे में हो रहा उलँघन


फतेहपुर।


 लगभग डेढ़ महीनों से चल रहे लाक डाउन की वजह से लोगों का जनजीवन व रोजगार पूरी तरह प्रभावित हो गया है गरीब तबके के लोग पाई पाई को मोहताज हैं सरकार द्वारा खाद्यान्न उपलब्ध कराने से गरीबो का पेट तो किसी प्रकार भर रहा है किंतु उनकी अन्य जरूरतें पूरी नही हो पा रही हैं ऐसे में लोगों का समान्य जनजीवन शुरू होने से पहले शराब की दुकान खुल जाने से छोटे तबके के लोगों में फुर्सत की वजह से नशाखोरी की लत बढ़ेगी।


एक अनुमान के मुताबिक रोजमर्रा का जीवन जीने वाले मध्यम व छोटे तबके के ज्यादातर लोग अपनी कमाई का एक चौथाई रुपया नशाखोरी में खर्च करते हैं लोगों का तर्क है की दिन भर की मेहनत के बाद शरीर की थकावट मिटाने में शराब का अहम रोल होता है जिसके चलते प्रतिदिन लाखों लोग अपनी हैसियत के हिसाब से शराब का नशा करते हैं लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना के चलते सभी तरह की शराब की दुकानें पूरी तरह से बंद थी ऐसी हालत में लोग चाह कर भी शराब की खरीदारी नही कर पाए। 
अब जब सरकार ने राजस्व प्राप्त करने के लालच में प्रदेश भर में शराब की दुकानें खोलने का ऐलान कर दिया तो सोमवार की सुबह से शराब की दुकानों के बाहर सैकड़ों की तादाद में लोग लाइन लगाएं शराब खरीदने को उतावले दिखे और खास बात ये रही की शराब खरीदने वालों में ज्यादातर मध्यमवर्गीय और छोटे तबके के लोग ही थे।


गौरतलब है कि रोजमर्रा का जीवन जीने वाले परिवार ने मुसीबत इन हालातों में जो थोड़े से पैसे घर में जमा कर रखे होंगे अगर उसे नशाखोरी में उड़ा दिया तो उनके परिवार में आर्थिक संकट खड़ा हो जायेगा ऐसे में परिवार में आपसी कलह बढ़ेगी और नकारात्मक सोच वाले लोग किसी भी तरह की घटना दुर्घटना कारित कर सकते हैं।
इसी तरह शराब की लती युवा पीढ़ी शराब खरीदने के लिए पैसों की जुगत में चोरी लूट की ओर अग्रसर होगी जिससे अपराध वह अराजकता का माहौल बढ़ेगा।


 अभी तक शराब की दुकान बंद होने से शराब के लती लोग पैसा ना होने के बावजूद शांती से जीवन जी रहे थे क्योंकि उन्हें पता था लाख चाहने के बावजूद शराब मिलेगी नहीं इसलिए शराब की तलब पर नियंत्रण रहा होगा, लेकिन शराब की दुकान खुलने से युवाओं के मन में शराब पीने के लिये पैसा इकट्ठा करने की जुगत सूझेगी जो अपराध को प्रेरित करेगी।
 वैसे देखा जाए तो लॉक डाउन के दरमियान सिर्फ छोटे तबके के लोगों के लिए शराब की किल्लत थी जबकि बड़े व धनाढ्य लोगों ने पहले से ही अपने घरों में शराब का स्टॉक कर लिया होगा इसलिए उनको शराब की दुकान खोलने न खोलने से किसी तरह का फर्क नही पड़ेगा। आफत तो उन परिवार पे टूटेगी जो गरीब और शराब के लती हैं।


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