हर बात पर राजनीति, लेकिन इस मसले पर राजनीति नहीं, लोकनीति होनी चाहिए..
कम से कम इस मामले में आप राजनीति न कीजिए। अब क्या इस मामले में भी राजनीति होगी? देखिए, इस मामले में तो राजनीति नहीं ही होनी चाहिए..। थोड़ा दिमाग पर जोर डालिए, ऐसे ही अनेक और जुमले-उक्तियां आपको स्वत: याद आ जाएंगे। संदर्भ के सिवा कुछ याद दिलाने की जरूरत नहीं।
एक मशहूर (ख्यातिलब्ध और व्यस्त) शख्सियत को यह कहते सुना था- एवरी एक्ट ऑफ लाइफ इज ए पॉलिटिक्स, इवेन इन फैमिली लाइफ (जीवन की प्रत्येक क्रिया राजनीति है, यहां तक कि पारिवारिक जीवन में भी)। शख्सियत का नाम बताने की जरूरत इसलिए नहीं, क्योंकि यह बहुत से लोगों का विचार और विश्वास है।सुनता आया हूं, लेकिन मैं आज तक न तो सहमत हो पाया और न ही समझ पाया। यदि राजनीति की बात करें (प्रचलित अर्थो में) तो क्यों राजनीति नहीं होनी चाहिए। यदि राजनीतिक लोग ही कहें कि राजनीति नहीं होनी चाहिए तो कुछ स्वाभाविक प्रश्न उठ खड़े होते हैं। सहमति है कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। पर, जरा जनाब! यह भी बता दें कि निगोड़ी राजनीति होनी किस मुद्दे पर चाहिए।
अब दूसरा सवाल। यदि एवरी एक्ट (इवेन इन फैमिली लाइफ) राजनीति है, तो पारिवारिक संस्कार क्या घास चरने के लिए छोड़ दिए गए हैं। परिवार नीति, समाज नीति, एक व्यक्ति की दूसरे व्यक्ति से व्यवहार नीति, क्या ये सब अप्रासंगिक हैं? या ये सब राजनीति के ही पर्यायवाची हैं। मामला बहुत उलझाऊ है। शायद परिभाषाओं का अकाल है। या परिभाषा रचने-गढ़ने की सुरुचि का अभाव है।
थोड़ी देर के लिए हम आपको दूसरे किनारे पर ले चलते हैं। ये किनारे शब्द रचे और गढ़े जाते हैं। बाद में यह डिक्शनरियों का हिस्सा बनते हैं। अच्छा, आपसे एक सवाल पूछते हैं। बताओ! प्यार और प्रेम में क्या अंतर है। आप थोड़ी देर के लिए सोचेंगे। फिर मन ही मन कहेंगे यह मूर्खतापूर्ण प्रश्न है। फिर संयत होकर कहेंगे, कोई फर्क नहीं, ये तो एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। वस्तुत: आप कहीं गलत नहीं। बिल्कुल सही सोच रहे। लेकिन अब यही प्रश्न आपके सामने दूसरे रूप में है। आप अपनी बेटी या बहन से कह सकते हैं, पत्नी से तो कह ही सकते हैं कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। लेकिन वही भाव रखते हुए क्या आप अपने कलीग (महिला या पुरुष) से कह सकते हैं कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं। आप कह सकते हैं, पर खतरा है। अर्थ का अनर्थ होने का खतरा। इसके परिणाम कुछ भी हो सकते हैं। निहितार्थ कुछ भी निकाले जा सकते हैं।