नई दिल्ली। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की सरकार की कोशिशें वैसे तो लगातार जारी है, लेकिन शिक्षा के तेजी से होते व्यवसायीकरण की आंधी में वह कभी टिक नहीं पायी। पर अब ऐसा नहीं होगा। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूत बनाने के लिए सभी राज्यों में एक स्वतंत्र प्राधिकरण का गठन होगा। फिलहाल इसे राज्य विद्यालय मानक प्राधिकरण (एसएसएसए) नाम दिया गया है। जो स्कूलों की गुणवत्ता को बरकरार रखने के साथ उनकी फीस बढ़ोतरी, किताबों के चयन आदि से जुड़ी मनमानी पर भी रोक लगाएगी।
स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षो में गली-मोहल्ले में दो-दो कमरों में चलने वाले निजी स्कूलों की जिस तरह से बाढ़ आयी, उसके बाद स्कूलों की गुणवत्ता को लेकर नए सिरे से मंथन शुरू हुआ था। हालांकि इसके रोकथाम के लिए कोई सख्त उठाया जाता, इससे पहले हाल ही में आयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी इस विषय को गंभीरता से उठाया गया। साथ ही स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए राज्य स्तर पर कड़े उपायों की जरूरत बताई गई।
स्कूलों को प्राधिकरण की ओर तय मानकों को अपनाना जरूरी होगी
शिक्षा मंत्रालय ने फिलहाल राज्यों के साथ मिलकर इस पर विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। इसके तहत अब स्कूलों को प्राधिकरण की ओर तय मानकों को अपनाना जरूरी होगी। वहीं इन मानकों का निर्धारण भी दुनिया भर में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर रखने के लिए अपनायी जाने वाली बेहतरीन पहल के आधार पर किया जाएगा। जिसका फोकस स्कूलों में बचाव, सुरक्षा, आधारभूत ढांचा, कक्षाओं और विषयों के आधार पर शिक्षकों की संख्या, वित्तीय ईमानदारी और शासन की उपयुक्त प्रक्रिया आदि के आधार पर किया जाएगा। फिलहाल प्राधिकरण की ओर से तय किए जाने वाले मानकों का पालन सभी स्कूलों के लिए अनिवार्य होगा। हालांकि इन मानकों को अंतिम रूप से देने से पहले स्कूलों के शिक्षकों और अभिभावकों की राय भी ली जाएगी।