ओवरलोड ट्रकों के खेल में एंट्री फीस का है बहुत बड़ा योगदान ।

 ओवरलोड ट्रकों के खेल में एंट्री फीस का है बहुत बड़ा योगदान ।



आला अधिकारियों के प्रयास हो रहे विफल बड़े-बड़े ट्रांसपोर्टरो के दबाव में रहता है उप संभागीय परिवहन विभाग ।


एंट्री के नाम पर जब तक ओवरलोड ट्रकों से वसूली होती रहेगी,तब तक ऐसे ट्रकों की आवाजाही पर रोक लगा पाना असंभव है।


शहर/फ़तेहपुर।

एंट्री फीस और कोई नहीं बल्कि ओवरलोड पर रोक लगाने की जिम्मेदारी लेने वाला विभाग ही वसूल रहा है। इस विभाग को हम उप संभागीय परिवहन विभाग के नाम से जानते हैं। इसी विभाग की मेहरबानी से जिला मुख्यालय हो या फिर तहसील मुख्यालय इन्हीं की छाती के ऊपर से मौरंग के भरे ओवरलोड ट्रक दहाड़ मार कर निकलते हैं। कोई भी इनका कुछ भी बिगाड़ नहीं पाता। हां जब भी जिलाधिकारी स्वयं या फिर उनके द्वारा गठित टीम मैदान में आती है तो फिर दर्जनों ट्रकों पर कार्रवाई संभव हो पाती है।


फतेहपुर सीमा से यमुना नदी के निकलने के बाद यहां मौरंग खनन का कारोबार काफी जमाने से फल फूल रहा है।


इस कारोबार में प्रतिदिन हजार से अधिक ट्रैक मौरंग भरकर गैर जनपद के लिए रवाना होते हैं। इस धंधे में बड़े-बड़े ट्रांसपोर्टर भी लगे हुए हैं। जिनकी सांठगांठ उप संभागीय परिवहन विभाग में रहती है और एंट्री फीस के नाम पर विभागीय कुछ लोगों कि जेबें गर्म कर दी जाती है। फिर शुरू हो जाता है ओवरलोड ट्रकों के निकलने का सिलसिला जेबें गर्म होने के बाद परिवहन विभाग के यह अधिकारी बड़े ही ईमानदारी के साथ इन बड़े-बड़े ट्रांसपोर्टरों के साथ नमक हरामी का काम बिल्कुल नहीं करते हैं। जब भी जिला अधिकारी द्वारा गठित टीम सड़क पर आकर चेकिंग अभियान चलाती है तो ट्रांसपोर्टरों के मालिकानो तक जानकारी पहुंचा दी जाती है और फिर बड़ी-बड़ी मछलियां टीम के हाथ नहीं लग पाती।छोटी-छोटी मछलियां ही कार्रवाई के दायरे में आ पाती हैं।यहां के करीब एक दर्जन ऐसे ट्रांसपोर्टर हैं जो उप संभागीय परिवहन विभाग को अपने मायाजाल में फसा रखा है। इनमें से फतेहपुर और रायबरेली के ट्रांसपोर्टर शामिल है। यदि परिवहन विभाग या फिर गठित टीम के द्वारा ओवरलोड ट्रकों के हुए चालानो का लेखा-जोखा निकाला जाए तो इसमें ऐसे ट्रांसपोर्टरों के ट्रक नहीं मिलेगे। केवल उन्हीं लोगों के ट्रक मिलेंगे जिनके पास एक या दो ट्रक है और इनकी सांठगांठ परिवहन विभाग में नहीं है। यह लोग एंट्री फीस अदा नहीं कर पाते।

सवाल उप संभागीय परिवहन विभाग के आला अधिकारियों से हैं। कि जब उन्हें केवल ओवरलोड ट्रकों पर रोक लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है तो फिर वह अब तक ऐसे वाहनों पर रोक क्यों नहीं लगा पा रहा। कहीं ना कहीं तो कुछ गड़बड़ है। बड़े-बड़े ट्रांसपोर्टरों को इसी गड़बड़ झाले की वजह से खुली छूट मिल रही है। जांच का विषय तो है और यदि जांच हुई तो न केवल एंट्री फीस का खुलासा होगा बल्कि वह लोग भी कानूनी दायरे में आएंगे जो जिलाधिकारी द्वारा गठित टीम के निकलने से पहले इन ट्रांसपोर्टर के मालिकों तक खबर देते है।

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