कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की छात्रा बनी फतेहपुर में जिला पंचायत सदस्य

 कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की छात्रा बनी फतेहपुर में जिला पंचायत सदस्य



फतेहपुर।वो बेंगलुरु में पली-बढ़ीं और अब अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से एमटेक की पढ़ाई कर रहीं है। इस बीच लाकडाउन में पति के साथ गांव आकर जिला पंचायत चुनाव में किस्मत आजमाई। जनता उनके साथ खड़ी हुई तो अब वह जिले की पंचायत में पहुंचकर गांवों के विकास की इबारत लिखने की तैयारी में हैं। प्राकृतिक संसाधनों को और बेहतर करके खुशहाली लाना चाहती हैं। ये हैं हाल ही में जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुईं बिंदकी तहसील के जिगनी गांव निवासी इजहारुल हसन खान की पत्नी तस्कीन बानो। उनका इरादा ग्रामीण क्षेत्रों को बदलने का है।  

इस तरह बनीं जिपं सदस्य: 

वर्ष 2014 में बेंगलुरु की तस्कीन बानो का निकाह बिंदकी तहसील के जिगनी गांव निवासी इजहारुल के साथ हुआ था। वह जब पहली बार यहां घर आईं तो ग्रामीण जीवन से मुखातिब हुईं। कोरोना के दौरान पति के साथ फिर गांव आईं, तभी उनके देवर आफताब पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सीट बागबादशाही से मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे थे। सीट महिला के लिए आरक्षित होने से घर पर चर्चा हुई तो तस्कीन ने चुनाव लडऩे की इच्छा जताई। गांव की बहू चुनाव लड़ी और जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हो गई। बेंगलुरु में इनके पिता बैंक कर्मचारी और चाचा टी. वजीर सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी रहे हैं। तस्कीन ने बालविन वीमेंस मेथाडिस्ट कालेज बेंगलुरु से बीटेक किया है। 

शिक्षा और मूलभूत सुविधाओं पर करेंगी फोकस: 

तस्कीन कहती हैं कि गांव शिक्षा के क्षेत्र में कमजोर हैं। इससे बेरोजगारी है। अच्छे शिक्षण संस्थानों की जरूरत है। गांव संपर्क मार्गों से नहीं जुड़े और परिवहन सुविधा भी खराब है। अब अच्छी सड़कें बनवाने, ड्रेनेज सिस्टम ठीक कराने, तालाबों को बचाने के साथ घरों में हो रही पानी की बर्बादी रोकने की दिशा में काम करेंगी। गांव से ही इसके लिए जागरूकता की मुहिम छेड़कर महिलाओं को जोड़ेंगी। जिला पंचायत की बैठकों में खुद हिस्सा लेंगी। जिन लोगों ने भरोसा कर वोट दिया है, उनके बीच रहेंगी। बालिका शिक्षा पर विशेष फोकस होगा।

हिंदी बोलने में महसूस करतीं असहज, पर समझतीं: 

तस्कीन हिंदी को पूरी तरह से समझती हैं, पर जवाब देने में असहज महसूस करती हैं। अंग्रेजी और कन्नड़ में उनकी पकड़ बेहतर है। गांव में हिंदी बोलने और समझने में पति इजहारुल मदद करते हैं। पति बताते हैं कि घर पर हिंदी में बात करते हैं, जिससे उन्हें समझने में आसानी हो। जनप्रतिनिधि बनने के बाद सभी से मिलना होगा तो उनकी बात समझनी होगी।

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