तुम्हारे हिस्से का हर दर्द,

 "समर्पण"


तुम्हारे हिस्से का हर दर्द, 

                  हम अपने हक में लेते हैं l

हमारे हिस्से का हर सुख, 

                  तुम्हारे  नाम  करते  हैं l

चलो कुछ दूर चल करके, 

          हम अपना दुःख सुख कहते हैंl

तुम्हारे दुःख के बदले हम ,

             अधर    मुस्कान  देते   हैं l

चलो अंतस के भावों को ,

            समझते हैं अब हम दोनों l

शिकायत जो कुछ भी है ,

               चलो हम दूर करते हैं l

मिले हैं मुश्किलों से हम ,

             सफ़र मिल कर तय करते हैं l

मिला कर के कदम अब हम, 

             चलो  हर  पीर  हरते  हैं l

तुम्हारे आंचल के कांटे ,

             स्व पलकों से हम चुनते हैं, 

मेरे दामन के हर मोती ,

             तुम्हारे  नाम   करते   हैं l

हमारे रूठने पर हम ,

            चलो  मिलकर  मनातें हैं,

थकन जीवन के अब तक को ,

            चलो मिलकर मिटाते हैं l

तुम्हारे हिस्से का हर दर्द, 

            हम अपने हक में लेते हैं, 

हमारे हिस्से का हर सुख ,

             तुम्हारे   नाम  करते  हैं l


रश्मि पाण्डेय बिंदकी, फतेहपुर l

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