आसान नहीं है मनजिंदर सिंह सिरसा को फिर से अध्यक्ष का ताज मिलना
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी में शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) को बहुमत तो मिल गया है लेकिन उसके लिए सत्ता की राह आसान नहीं है।
पार्टी नेतृत्व ने चुनाव हार गए निर्वतमान अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा के सिर पर फिर से ताज सजाने की घोषणा की है
पंजाबी बाग से हराने के बाद अब सिरसा को अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव में भी परास्त करेंगे।
न्यूज़। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) में शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) को बहुमत तो मिल गया है, लेकिन उसके लिए सत्ता की राह आसान नहीं है। पार्टी नेतृत्व ने चुनाव हार गए निर्वतमान अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा के सिर पर फिर से ताज सजाने की घोषणा की है। वहीं, विरोधी पार्टियों ने उन्हें कुर्सी से दूर रखने की कवायद शुरू कर दी है। शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (शिअद सरना) के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने एलान कर दिया है कि पंजाबी बाग से हराने के बाद अब सिरसा को अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव में भी परास्त करेंगे।
सरना के 20 सदस्य होने का दावाः- शिअद बादल को डीएसजीएमसी के 46 में से 27 वार्डों में जीत मिली है। वहीं, शिअद सरना के 14 उम्मीदवार कमेटी में पहुंचे हैं। बावजूद इसके सरना दावा कर रहे हैं उनकी पार्टी का अध्यक्ष बनेगा। वह जग आसरा गुरु ओट (जागो) के तीन सदस्यों के साथ ही पंथक अकाली लहर और एक निर्दलीय सदस्य के समर्थन की बात कर रहे हैं। संख्या बल के आधार पर जीते हुए सदस्यों के मतदान द्वारा चुने जाने वाले दो सदस्यों में से एक सदस्य सरना के दल से चुना जा सकता है। इस तरह से उनके खेमे में 20 सदस्य हो सकते हैं।
दूसरी ओर शिअद बादल के 27 सदस्य हैं। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने सिरसा को डीएसजीएमसी में अपना सदस्य मनोनित किया है। चुने हुए सदस्यों के मतदान से एक सदस्य बादल गुट का जीत सकता है। इस तरह से बादल के पास 29 सदस्य होंगे।
अध्यक्ष बनने के लिए चाहिए 26 सदस्यों का समर्थन
डीएसजीएमसी में कुल 55 सदस्य होते हैं। इसमें से 46 सीधे संगत से चुनकर आते हैं। दो का चुनाव जीते हुए सदस्य मतदान से करते हैं। दिल्ली के गुरुद्वारा सिंह सभाओं के अध्यक्षों में से दो लाटरी से चुनकर कमेटी में पहुंचते हैं।
एक सदस्य एसजीपीसी का प्रतिनिधि होता है। इन 51 सदस्यों को अध्यक्ष पद के लिए होने वाले मतदान में मत देने का अधिकार होता है। शेष चार सदस्य अलग-अलग तख्त के जत्थेदार होते हैं और इन्हें मतदान का अधिकार नहीं होता है। इस तरह से 26 का समर्थन हासिल करने वाला डीएसजीएमसी का अध्यक्ष चुना जाता है।
बताते हैं कि सिरसा के चुनाव हार जाने के बावजूद पिछले दरवाजे से उन्हें अध्यक्ष बनाने की कोशिश से कई अकाली नेता नाराज हैं। सरना व अन्य सिख नेता इन्हें अपने साथ जोड़ने की कोशिश में हैं। इसके साथ ही सिंह सभाओं के अध्यक्षों में से लाटरी के जरिये चुने जाने वाले सदस्यों पर भी इनकी नजर है। सरना को सत्ता तक पहुंचने के लिए कम से कम छह सदस्यों को अपने साथ जोड़ना होगा।