ऑस्टियोपोरोसिस: बुजुर्गों में आम होती है यह बीमारी, हड्डी टूटने का बना रहता है डर।
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शरीर के स्वस्थ रहने के लिए हड्डियों का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी होता है। हालांकि आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग खुद के ऊपर ध्यान नहीं दे पाते और ऐसे में शरीर को कई तरह की बीमारियां जकड़ लेती हैं। इनमें हड्डियों से जुड़ी बीमारियां भी शामिल हैं, जैसे ऑस्टियोपोरोसिस। वैसे तो यह बीमारी बुजुर्गों में आम होती है, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों का विकास भी धीमा हो जाता है, हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, लेकिन यह बीमारी व्यस्कों में भी हो सकती है। दरअसल, इस बीमारी में हड्डियों का घनत्व घटने लगता है, जिससे उनके टूटने का डर बना रहता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित मरीज की हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि हल्की सी भी चोट लगने पर या मरीज के गिरने पर वो टूट जाती हैं। इसलिए समय रहते इसपर ध्यान देना जरूरी होता है, नहीं तो यह बीमारी खामोशी से आपको जकड़ती जाती है।
महिलाओं को भी होता है अधिक खतरा ।
उम्रदराज महिलाओं में भी ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा अधिक पाया जाता है। दरअसल, मासिक धर्म बंद हो जाने यानी मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर घट जाता है, जिससे हड्डियों के क्षरण बढ़ता है और साथ ही इस बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है।
ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण क्या हैं?
अगर सही समय पर इस बीमारी के लक्षण जान गए तो इससे काफी हद तक बचा जा सकता है। कमर, हाथ और गर्दन की हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, शरीर का झुका हुआ लगना, कमजोरी महसूस होना, आसानी से थक जाना, हड्डियों में लगातार फ्रैक्चर आना ऑस्टियोपोरोसिस के प्रमुख लक्षण हैं, जिन्हें बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
ऑस्टियोपोरोसिस के कारण क्या हैं?
शरीर में विटामिन डी की कमी
कैल्शियम की कमी
हाइपोथॉयराडिज्म यानी शरीर का पर्याप्त मात्रा में थायराइड हार्मोन का उत्पादन नहीं करना
शराब और धूम्रपान, तंबाकू का अधिक सेवन
बिना मूवमेंट की लाइफस्टाइल यानी योग-व्यायाम नहीं करना
ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के लिए डाइट में इन चीजों को करें शामिल
डेयरी उत्पाद (पनीर, दही, कम वसा, और नॉनफैट दूध)
प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ (मीट, मछली, ओट्स, राजमा, दाल, ग्रीक योगर्ट)
ताजे फल और सब्ज़ियां (संतरा, स्ट्रॉबेरी, पपीता, अनानास, केला, सरसों का साग, ब्रोकली, पालक, आलू, शकरकंद)