पक्का तालाब जीर्णाेद्धार के लिए प्रशासनिक अफसरों की घंटी बजाएंगे कार्यकर्ता
- वर्षों से प्रशासनिक चुप्पी टूटने का इंतजार करते थककार्यकर्ता
- बुन्देलखण्ड राष्ट्र समककार्यकर्ता सौंदर्यीकरण हेतु कर चुकी कई आंदोलन
खागा (फतेहपुर): प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में जनपद के नायक ठा. दरियाव सिंह की नगरी खागा में दूसरी प्राचीन धरोहर पक्का तालाब प्रशासनिक उपेक्षा पर आंसू बहा रहा है। वर्ष 1860 में मिर्जापुर के एक व्यापारी द्वारा बनवाया गया पक्का तालाब मौजूदा समय में कूड़ाघर बन गया है। चारों ओर बसी आबादी से निकलने वाले कचरा तालाब के गर्भ में पहुंच रहा है। लगातार बरसात की वजह से पक्का तालाब के अंदर से जबरदस्त दुर्गंध उठ रही है। स्थानीय नागरिक भी प्राचीन धरोहर को उसका असली स्वरूप न मिलने से व्यथित हैं।
बुन्देलखण्ड राष्ट्र समिति के केंद्रीय अध्यक्ष प्रवीण पाण्डेय ने पूर्व में कई बार स्वयंसेवकों के साथ पक्का तालाब जाकर उसके आस-पास रहने वाले परिवारों से मुलाकात कर चुके हैं। बुंदेलखंड राज्य निर्माण हेतु 22 बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खून से पत्र लिख चुके समिति के केन्द्रीय अध्यक्ष ने बताया कि ऐतिहासिक तालाब के संरक्षण, जीर्णाेद्वार और इसके पुर्नस्थापना के लिए भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार से मांग करते आ रहे हैं। समिति ने जिलाधिकारी तथा उपजिलाधिकारी खागा को ज्ञापन देकर, तालाब किनारे दीप जलाकर, जिलाधिकारी को खून से पत्र लिख कर तथा हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से पक्का तालाब के संरक्षण संवर्धन कर प्रयास किया। रक्षाबंधन त्योहार पर समिति स्वयं सेवकों द्वारा पक्का तालाब की रक्षा हेतु 21 साड़ियों का रक्षा सूत्र बांध कर जीर्णाेद्धार का संकल्प लिया था। श्री पाण्डेय ने बताया कि इस पक्का तालाब का इतिहास देश आजादी से पूर्व का है। मिर्जापुर के एक व्यापारी ने सदियों पहले 40 हजार रूपये की लागत से पक्का तालाब का निर्माण कराया था। मौजूदा समय में देखरेख व संरक्षण के अभाव में इसका अस्तित्व मिटने की कगार पर पहुंच चुका है। आजादी की बुलंद गाथा का गवाह, ऐतिहासिक पक्का तालाब प्रशासन की अनदेखी से गंदगी और अव्यवस्था का शिकार बना हुआ है। आलम यह है कि तालाब का पानी पूरी तरीके से हरा हो चुका है। इसमें पड़ी गंदगी जलीय जीवों के लिए मौत का कारण बन रही है। तालाब के आस-पास तथा इसके अंदर गंदगी होने से दुर्गंध फैल रही है। ऐतिहासिक धरोहरों को संजोए रखने के लिए पक्का तालाब का जीर्णाेद्धार कराया जाना नितांत आवश्यक व हितकारी है। कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं। जिसकी वजह से समिति के स्वयंसेवक व नगर क्षेत्र के समाजसेवियों की भावनाएं आहत हो रही हैं। बुंदेलखंड राष्ट्र समिति ने ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण हेतु आगामी दिनों में स्कूल-कालेज जाकर जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया है। आला-अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट करने के लिए समिति के स्वयंसेवक अधिकारियों की चौखट पर जाकर घंटी बजाएंगे।