भूमाफियाओं की कारस्तानी के और भी हैं बड़े मामले, प्रशासनिक जिम्मेदारों की रही है संदिग्ध भूमिका
शासन से शिकायत के बाद बोतल से बाहर आया माहपुर के 16 बीघे तालाबी भूखण्ड का जिन्न
20 जनवरी 2020 के आदेश के प्रति गंभीर नहीं प्रशासन
पूर्व सांसद अशोक पटेल की बेटी व शमीम अहमद की पत्नी समेत 09 लोगों पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं जुटा पाया योगी का तंत्र
स्वामित्व समाप्त होने के बाद भी हुए दर्जन भर प्लाटो के बैनामे, उपनिबंधक व उनके कार्यालय की भूमिका संदिग्ध
फतेहपुर। योगी राज में नौकरशाह अपने ही आदेेश के अनुपालन के प्रति कितना गंभीर है, इसका उदाहरण "माहपुर" की लगभग 16 बीघे तालाबी नंबर वाली ज़मीन पर पूर्व उप ज़िला अधिकारी सदर प्रमोद कुमार झा कोर्ट के 22 जनवरी 2020 के आदेश हैं...! एक जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए उच्च न्यायालय ने उपरोक्त भू-खण्ड को लेकर तल्ख़ टिप्पणी के साथ कड़ा आदेश जारी किया था, जिसके अनुपालन में तत्कालीन डीएम के आदेश पर एसडीएम ने दर्जन भर लोगों के बैनामे कैंसिल करते हुए सरकारी दस्तावेजों में पुनः तालाब दर्ज़ करा दिया था, बावजूद इसके अब तक मौक़े पर अवैध कब्जे बरक़रार हैं और इस मद में जिम्मेदार कतई गंभीर नहीं हैं...! एक माननीय द्वारा शासन को भेजे गए शिकायतीपत्र के बाद एक बार अति चर्चित माहपुर तालाबी भूखण्ड का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है।
उल्लेखनीय है कि लगभग तेरह वर्ष पूर्व श्रेणी 06 (सरकारी) की जमीनों के कुछ बड़े खिलाड़ियों ने सिस्टम की खामियों का फ़ायदा उठाते हुए गाटा संख्या 159 की 15 बीघा 16 बिस्वा ज़मीन जो वास्तव में तालाबी है, उसका बैनामा करवा लिया था और भूमिधरी बताकर दर्जनों प्लाट बग़ैर ले आऊट पास करवाए बेच डालें थे जिनमें बाकाएदे निर्माण भी हो चुके हैं। इस मामले में ज़िला प्रशासन की संदिग्ध भूमिका का हवाला इससे भी मिलता है कि अदालत और ऊपरी अधिकारियो के स्पष्ट आदेश के बावजूद क्रेता -विक्रेताओं को इस अपराधिक कृत्य के लिए कहीं से भी कार्यवाही की जद में नहीं लिया गया है। इस मामले के समय में भी पूर्व एसडीएम सदर प्रमोद कुमार झा ही थे किन्तु उन्होंने इस दिशा में कोई प्रभावी कार्यवाही क्यों नहीं की, यह अपने आप में बड़ी जांच का विषय है। जानकारों के अनुसार मौजूदा समय में इस तालाबी भू खण्ड की बाजारू कीमत 25 करोड़ के क़रीब हैं, जिसपर कब्ज़ा प्राप्त करने के प्रति सम्बन्धित अधिकारी कतई गम्भीर नहीं है।
विगत 22 जनवरी 2020 को एसडीएम सदर की कोर्ट से खसरा संख्या 193 मि. से संदर्भित वाद संख्या 00488/2020 उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 अंतर्गत धारा 38 (2) में स्पष्ट किया गया है कि नायब तहसीलदार नगर तहसील व जिला फतेहपुर के आदेश 6 जनवरी 2020 के अनुसार प्रेषित वाद स्वीकार किया जाता है तथा आदेश दिया जाता है कि मौजा माहपुर परगना तहसील व जिला फतेहपुर की वर्तमान खतौनी संख्या 102 की गाटा संख्या 159 रकबा 04 बीघा व खाता संख्या 134 के गाटा संख्या 193 रकबा 03 बीघा 2 बिस्वा, खाता संख्या 10 के गाटा संख्या 209 रकबा 4 बीघा 4 बिस्वा व खाता संख्या 133 के गाटा संख्या 299 रकबा 4 बीघा 10 बिस्वा कुल योग 4 बीघा कुल रकबा 15 बीघा 16 बिस्वा से खातेदार हरिशंकर पुत्र राम सजीवन व विजय शंकर पुत्र राम सजीवन व अभिषेक नाबालिक 16 वर्ष संरक्षिका तेजपती (मां) पुत्र राम सजीवन व श्रीमती तेजपती पत्नी स्वर्गीय राम सजीवन समस्त निवासी मोहल्ला मसवानी शहर फतेहपुर व श्रीमती मोहम्मदी एजाज पत्नी शेख एजाज अहमद सिद्दीकी व पत्नी सोमैया आफाक अहमद उर्फ हसनैन व श्रीमती छम्मन बीबी पत्नी स्वर्गीय मोहम्मद इब्राहिम व श्रीमती रूबी पत्नी वाहिद हुसैन निवासी मोहल्ला पनी व श्रीमती सरोज देवी पुत्री स्वर्गीय लाला बनारसीदास निवासी मोहल्ला महादेवन टोला श्रीमती पारुल सिंह पुत्री डॉ अशोक पटेल (पूर्व सांसद) पत्नी डॉ राजेश कुमार निवासी मोहल्ला मसवानी व श्रीमती आयशा बानो पत्नी मोहम्मद शमीम निवासी मोहल्ला आलापुर, अनिल कुमार मिश्र उर्फ गुड्डू पुत्र रामसनेही निवासी मोहल्ला शांति नगर व चंद्र मोहन शुक्ला पुत्र राम अवतार शुक्ला निवासी 56 अरबपुर व मोहम्मद शमीम पुत्र अब्दुल शकूर निवासी मोहल्ला आलापुर, कमलेश कुमार गुप्ता पुत्र मूसेलाल गुप्ता निवासी मोहल्ला रामगंज पक्का तालाब व चुन्नी बेगम पुत्री अली शेर खा निवासी ग्राम व परगना गाजीपुर व जीनत खान पुत्री लल्लू खान निवासी ग्राम व परगना गाजीपुर जनपद फतेहपुर के नाम निरस्त कर पूर्व की भांति श्रेणी छह तालाब के खाते में दर्ज किया जाए। परवाना क्रमांक 1365 में त्वरित कार्यवाही अमल में लाई गई। इस वाद में 0.5020 हे. तालाबी ज़मीन का मामला निस्तारित हुआ।
इसी तारीख को एसडीएम सदर की कोर्ट ने खसरा संख्या 209 मि. से संदर्भित वाद संख्या 00488/2020 उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 अंतर्गत धारा 38 (2) में भी स्पष्ट किया गया है कि नायब तहसीलदार नगर तहसील व जिला फतेहपुर के आदेश 6 जनवरी 2020 के अनुसार प्रेषित वाद स्वीकार किया जाता है तथा आदेश दिया जाता है कि मौजा माहपुर परगना तहसील व जिला फतेहपुर की वर्तमान खतौनी संख्या 102 की गाटा संख्या 159 रकबा 04 बीघा व खाता संख्या 134 के गाटा संख्या 193 रकबा 03 बीघा 2 बिस्वा, खाता संख्या 10 के गाटा संख्या 209 रकबा 4 बीघा 4 बिस्वा व खाता संख्या 133 के गाटा संख्या 299 रकबा 4 बीघा 10 बिस्वा कुल योग 4 बीघा कुल रकबा 15 बीघा 16 बिस्वा से खातेदार हरिशंकर पुत्र राम सजीवन व विजय शंकर पुत्र राम सजीवन व अभिषेक नाबालिक 16 वर्ष संरक्षिका तेज पति मां पुत्र राम सजीवन व श्रीमती तेजपती पत्नी स्वर्गीय राम सजीवन समस्त निवासी मोहल्ला मसवानी शहर फतेहपुर व श्रीमती मोहम्मदी एजाज पत्नी शेख एजाज अहमद सिद्दीकी व सोमैया आफाक पत्नी आफाक अहमद उर्फ हसनैन व श्रीमती छम्मन बीबी पत्नी स्वर्गीय मोहम्मद इब्राहिम व श्रीमती रूबी पत्नी वाहिद हुसैन निवासी मोहल्ला पनी व श्रीमती सरोज देवी पुत्री स्वर्गीय लाला बनारसीदास निवासी मोहल्ला महादेवन टोला श्रीमती पारुल सिंह पुत्री डा० अशोक पटेल (पूर्व सांसद) पत्नी डा० राजेश कुमार निवासी मोहल्ला मसवानी व श्रीमती आयशा बानो पत्नी मोहम्मद शमीम निवासी मोहल्ला आलापुर अनिल कुमार मिश्र उर्फ गुड्डू पुत्र रामसनेही निवासी मोहल्ला शांति नगर व चंद्र मोहन शुक्ला पुत्र राम अवतार शुक्ला निवासी 56 अरबपुर व मोहम्मद शमीम पुत्र अब्दुल शकूर निवासी मोहल्ला आलापुर, कमलेश कुमार गुप्ता पुत्र मूसेलाल गुप्ता निवासी मोहल्ला रामगंज पक्का तालाब व चुन्नी बेगम पुत्री अली शेर खा निवासी ग्राम व परगना गाजीपुर व जीनत खान पुत्री लल्लू खान निवासी ग्राम व परगना गाजीपुर जनपद फतेहपुर के नाम निरस्त कर पूर्व की भांति श्रेणी छह तालाब के खाते में दर्ज किया जाए। परवाना क्रमांक 1365 में त्वरित कार्यवाही अमल में लाई जाए। इस वाद में 0.6800 हे. तालाबी ज़मीन का मामला निस्तारित किया गया।
भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार इन दोनों मामलो में संबंधित सभी 09 लोगों पर मामला अपराधिक प्रवत्ति का मानते हुए अपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज कराने के आदेश भी हुए किन्तु तत्कालीन लेखपाल ने आदेश की नाफरमानी करते हुए सिस्टम सज़ा कर मामले का मुक़दमा नहीं दर्ज़ कराया..! इन दोनों मामलों में तत्कालीन एसडीएम सदर व तहसीलदार सदर रही विदुषी सिंह की भूमिका पर भी सवाल उठाए जाते रहे हैं। यहां पर सवाल यह भी ख़ास हैं कि जब हाईकोर्ट के आदेश के बाद कागज़ी घोड़े दौड़ाकर विशुद्ध सरकारी जमीन पर कब्जा नहीं पाया जा सका तो फिर मौजूदा शासन तंत्र में आम व्यक्ति को समस्याओं पर न्याय कैसे मिल सकता है...! इस संबंध में कोई भी जिम्मेदार अपना पक्ष रखने को तैयार नहीं है! ख़ासकर मौजूदा प्रशासन भी इस मद में गम्भीर नहीं लगता।यहां पर अंधेरगर्दी की हद तो तब हो गई जब उक्त ज़मीन से सम्बन्धित खतौनी से नाम निरस्त होने और खतौनी समेत समूचे सरकारी दस्तावेजो में बाकायदे तालाबी ज़मीन दर्ज़ होने के बाद भी दर्जन भर के क़रीब बैनामे हो गए! उप निबंधक (बैनामा) कार्यालय के दस्तावेजों के मुताबिक़ 30 जनवरी 2020 को दुगरेई अयाहशाह निवासी ललिता देवी पत्नी फूलचंद्र ने 90 वर्ग मीटर प्लाट खागा तहसील के मोहम्मदपुर कोतला निवासी विजयकली पत्नी शिव बालक को बैनामा किया। इसी कड़ी में विगत 02 जुलाई 2020 को कानपुर के एल.आई. 160 गंगा विहार कॉलोनी जाजमऊ निवासी शम्स एजाज सिद्दीकी की पत्नी कैकशॉ बेगम ने 90 वर्ग मीटर का अपना प्लाट फतेहपुर जनपद के जगदीशपुर चखेड़ी निवासी धनराज की पत्नी सरिता देवी के नाम बैनामा किया। जबकि 31 अगस्त 2020 को शहर के चूड़ी वाली गली निवासी शरीफ अहमद की पत्नी रईसा बेगम ने अपना 93 वर्ग मीटर का प्लाट जनपद के जमरावा ग्राम निवासी राकेश कुमार की पत्नी सुमन देवी के नाम बैनामा किया। वही 13 अक्टूबर 2020 को खागा तहसील क्षेत्र के हरदो हथगांव निवासी रामचंद्र सिंह के पुत्र प्रदीप कुमार सिंह ने जनपद के महमूदपुर निवासी राम प्रकाश की पत्नी फूलकली को अपने 117 वर्ग मीटर प्लाट का बैनामा किया। इसी तरह अलग-अलग तिथियों में सात और प्लाटो के बैनामे किए गए। सवाल यह उठता है कि जब खतौनी समेत सभी सरकारी दस्तावेजों में उक्त नंबर की ज़मीन श्रेणी छह तालाब के नाम से दर्ज़ हो गई थी तो फ़िर बैनामे कैसे दर्ज़ हों गए...! बताते हैं कि इस अंधेरगर्दी में सीधे तौर पर उप निबंधक एवं उनके कार्यालय की ख़ास भूमिका रहीं हैं। इन सभी बैनामो में योजनाबद्ध ढंग से पुरानी खतौनी का आधार लिए जानें की बात कही जा रही हैं।अब देखना यह होगा कि भू माफियाओं पर नकेल कसने की कवायद में जुटे मौजूदा प्रशासन की इस मामले में नज़र टिकती है, या पूर्व की भाति मामले को टरका दिया जाता है।