मंदिर मूकबधिर एवं मंदबुद्धि दिव्यांग शैक्षिक व्यावसायिक एवं पुनर्वासन विद्यालय खम्भापुर धूमधाम से मनाया गया विश्व दिव्यांग दिवस
फतेहपुर।विश्व दिव्यांग दिवस का आयोजन श्रीकृष्ण आदर्श विद्या मंदिर मूकबधिर एवं मंदबुद्धि दिव्यांग शैक्षिक व्यावसायिक एवं पुनर्वासन विद्यालय खम्भापुर फतेहपुर में गत वर्षो की भांति इस वर्ष भी विश्व दिव्यांग दिवस धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ अनुराग श्रीवास्तव स्टेट आइकॉन स्वीप व यूथ आईकॉन समाज सेवी व विशिष्ट अतिथि रामनारायण आचार्य जी मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के उपाध्यक्ष डॉक्टर वकील अहमद व संचालन छात्रावास अधीक्षक मनीष कुमार सिंह ने किया। इस उपलक्ष्य में मूकबधिर एवं मंदबुद्धि 41 दिव्यांग बच्चों को फल, यूनीफॉर्म के साथ ही डॉ0 अनुराग श्रीवास्तवजी द्वारा नमकीन, बिस्कुट व चॉकलेट आदि का भी वितरण किया गया।
अध्यक्ष ने मॉ शारदे की प्रतिमा में माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित करके कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। अपने संबोधन में कहा कि इस तरह के दिव्यांगों की सेवा उनका पुनर्वास और शिक्षण एवं प्रशिक्षण की सेवाएं उपलब्ध कराना बहुत ही पुण्य का कार्य है। और हम अपने स्तर से दिव्यांग बच्चों के लिये हर समय हर प्रकार का पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगें जिससे ये बच्चे भी स्वावलम्बी बन सके। अध्यक्ष महोदय ने अपने सम्बोधन में कहा कि मुख्य अतिथि प्रधानाचार्य विद्यालय परिवार के सभी जिम्मेदार अभिभावक’ पत्रकार बंधु उपस्थित सभी सज्जनों और प्यारे बच्चों जैसा कि हम सभी जानते हैं आज अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस 3 दिसंबर को हम सभी लोग धूमधाम से मनाते हैं जो 3 दिसंबर 1992 से शुरू किया गया है संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 7 अरब से ज्यादा लोग आज संसार में हैं जिनमें से 15% यानी एक अरब से ज्यादा लोग किसी न किसी रूप में दिव्यांग हैं। दिव्यांग शब्द हम उन लोगों के लिए इस्तेमाल करते हैं जो किसी ना किसी शारीरिक मानसिक बौद्धिक संवेदना संज्ञानात्मक या किसी गंभीर बीमारी या बाधा से पीड़ित हैं इन सबके कारणों पर अगर नजर डाली जाए तो गरीबी अशिक्षा अज्ञानता आदि इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार हैं हालांकि देश प्रदेश की सरकारें दिव्यांगता पर काफी कार्य कर रही हैं लेकिन एक बहुत बड़ी बाधा है जो सरकार की नीतियों को पूरी तरह से कारगर नहीं होने देती है और वह है सरकारी तंत्र का या मशीनरी का सही इस्तेमाल न हो पाना जिसके कारण सरकार की दिव्यांगों के प्रति उपलब्ध कराने वाली सेवाएं दिव्यांग तक नहीं पहुंच पाती कहीं टूटे-फूटे रास्ते या सड़कों का ना होना बिजली की समस्या साधन की समस्या ऐसी तमाम समस्याएं हैं जिनके चलते दिव्यांग चाह कर भी अपनी समस्या दूर नहीं कर सकते और सरकार चाहकर भी उनकी उनकी जरूरत को पूरा नहीं कर पा रही है संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 50% लोग अपने स्वास्थ्य का खर्च खुद नहीं उठा सकते इसके लिए उन्हें सरकारों पर ही निर्भर होना होता है मैं आपसे कहना चाहता हूं कि संसार में हर चीज कीमत देनी पड़ती है खुदा ईश्वर जो भी है अगर उसने आपको आपके शरीर में कहीं कोई कमी है तो निश्चय ही उसने आपको कोई ऐसी ताकत किसी दूसरे अंग में दी होगी जो कि सामान्य था सबके पास नहीं होती। आज संसार में ऐसा कोई भी पद या कोई भी स्थान चाहे वो खेलकूद हो चाहे वह आकाश हो चाहे वह धरती हो जल हो संगीत का क्षेत्र हो स्वास्थ्य का क्षेत्र हो किसी भी क्षेत्र में विकलांग या दिव्यांग व्यक्ति अपने आप को साबित करने में पीछे नहीं है। कहते हैं कोशिशें ही इंसान को कामयाब करती हैं। किसी शायर ने कहा है कि गिरते हैं सहसवार ही मैदान-ए-जंग में वो क्या गिरेंगे बुज़दिल जो घुटनों के बल चले।
प्यारे साथियों बात करने के लिए हमारे पास बहुत सारी चीजें हैं समय कम रहता है हम सभी लोगों को दूसरी चीजों के लिए वक्त निकालना होता है इतना ही कहा जा सकता है कि आप जागरूक हो सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए आप ऑफिसों में आए वहां पर आपकी सेवा के लिए अधिकारी बैठे हुए हैं आप उनसे संपर्क करें आपकी बात को सुना जाएगा और आपकी जरूरत को पूरी किया जाएगा आप की कोशिशें ही आपको कामयाब करेंगी। अब मैं अपनी वाणी को विराम देते हुए बस आपसे एक ही बात कहना चाहता हूं की आज की आवाज़ जाग इंसान ,वक्त कहता है वक्त को पहचान जय हिंद।कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि ने कहा कि मूकबधिर एवं मंदबुद्धि दिव्यांगों के साथ घणा एवं नफरत न करके उन्हें प्यार एवं सहयोग से ही आगे बढ़ाया जा सकता है। इन बच्चों की देखरेख एवं उत्साहवर्धन भारत सरकार एवं शासन से प्राप्त अनुदान से करना संभव नहीं है। जब तक हम सबकी सहभागिता ना होगी। जिससे इनके सहयोग के लिए समाज के सक्षम लोगों को आगे आना चाहिए। और कहा कि दिव्यांगों को दया पर नहीं अधिकार पर विश्वास करना चाहिए। प्रधानाचार्य महेंद्र सिंह ने अतिथियों का हार्दिक स्वागत करते हुए कहा कि संस्था परिवार इन बच्चों की देखरेख में तन मन धन से लगा हुआ है और समाज का सहयोग भी समय-समय पर मिलता रहता है। मूकबधिर, मंदबुद्धि एवं नेत्रहीन दिव्यांगता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जानकारी के अभाव में लोग शारीरिक रूप से दिव्यांग को ही दिव्यांग स्वीकार करते हैं। संस्था द्वारा दिव्यांगों के कल्याणार्थ किए जा रहे प्रयासों की कडी में बताया कि विद्यालय में मूकबधिर दिव्यांगों बच्चों को श्रवण यंत्रों के माध्यम से भी शिक्षा दी जा रही है। इस हेतु बच्चों व अभिभावकों से कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा है। कार्यक्रम का संचालन कर रहे छात्रावास अधीक्षक से मनीष कुमार सिंह ने बताया कि मंदबुद्धि व्यक्ति सदैव अव्यस्क रहता है इसलिए भारत सरकार ने मंदबुद्धि की संपत्ति का दुरुपयोग ना हो सके और ना ही जान का खतरा अर्थात ऐसे व्यक्ति अपनी मौत मर सके के उद्देश्य से राष्ट्रीय न्यास अधिनियम लागू किया गया जो ऐसे लोगों को संरक्षण प्रदान करता है मदंबुद्धि की देखरेख के लिए भारत सरकार द्वारा नियुक्त किए गए अभिभावक को प्रति माह गुजारा भत्ता देने का प्रावधान है। इस योजना का लाभ लेने हेतु पात्र व्यक्ति हमारे संस्था में भी संपर्क कर सकते हैं। कार्यक्रम के समापन में सभी की सहभागिता से मूकबधिर’ एवं मंदबुद्धि 41 दिव्यांग बच्चों को फल, यूनीफॉर्म के साथ ही डॉ0 अनुराग श्रीवास्तवजी द्वारा नमकीन, बिस्कुट व चॉकलेट आदि का भी वितरण किया गया। जिसको पाकर दिव्यांग बच्चों के चेहरे खुशी से चमक उठे।
अन्य प्रमुख लोगों में कृष्णा देवी, सुमन देवी, हेमंत सिंह, सर्वेश कुमार, मनीष सिंह यादव, रंजन सिंह, नेहा, पवन कुमार, चंद्रपाल, महेश चंद्र, रामा देवी, सावित्री देवी, हमीद, वीरेन्द्र सिंह, राम गोपाल सिंह, चंदा देवी व सुनीता देवी सहित विद्यालय के छात्र व अभिभावक उपस्थित रहे।