"शून्यता"
भाव जनित भावों की भाषा,
तुम क्या जानोगे ?
पीर तिरोहित मेरा ह्रदय,
क्या पहचानोगे ?
जीवन को मैं गति ही दूँगी,
साथ मेरा दोगे ?
काँटों से भरी राह में,
कर थाम मेरा लोगे ?
मूक भाव जनित नयन,
क्या तुम पढ़ लोगे?
मोती में परिवर्तित पीर,
कवच सीप दोगे ?
मुस्कान अधर का रिक्त पात्र,
क्या तुम भर दोगे ?
शून्य भाव अम्बर की सीमा,
स्पर्श करा दोगे ?
मुझको मेरी मंज़िल तक,
क्या पहुँचा दोगे ?
रश्मि पाण्डेय
बिंदकी, फतेहपुर