रिपब्लिक डे परेड में गोरखपुर के विंग कमांडर नीरज द्विवेदी ने बांधा समां
अब तक के सबसे बड़े फ्लाईपास्ट में गोरखपुर के नीरज द्विवेदी का शानदार प्रदर्शन
सैनिक विहार गोरखपुर के रहने वाले हैं विंग कमांडर नीरज द्विवेदी
गोरखपुर।73वां गणतंत्र दिवस के अवसर पर गोरखपुर वासियों के लिए गौरवान्वित करने वाला पल उस समय आया जब गोरखपुर के नंदा नगर सैनिक विहार कालोनी के रहने वाले विंग कमांडर नीरज द्विवेदी को भारत के राष्ट्रपति और तीनों सेनाओं के कमांडर रामनाथ कोविंद ने परेड को झंडी दी। परेड के दौरान कई चीजें पहली बार हुईं। भारत के इतिहास में पहली बार लड़ाकू विमानों और हेलिकॉप्टरों ने इतना बड़ा फ्लाईपास्ट किया। साथ ही साथ कॉकपिट व्यू भी पहली बार नजर आया। जगुआर लड़ाकू विमानों ने आजादी के 75 वें वर्ष के उपलक्ष में मनाए जा रहे अमृत महोत्सव को ध्यान में रखते हुए अमृत फॉर्मेशन बनाया। गणतंत्र दिवस की इस परेड में 75 एयरक्राफ्ट शामिल हुए। यह इस समारोह में शामिल हुए एयरक्राफ्ट्स की अब तक की सबसे बड़ी संख्या रही। इस परेड में राफेल जेट्स ने भी अपना डेब्यू किया। इन्हें पिछले साल सितंबर में ही एयर फोर्स में शामिल किया गया था।
गोरखपुर के लिए गौरवान्वित करने वाला पल उस समय आया जब विंग कमांडर नीरज द्विवेदी के नेतृत्व में एअर फोर्स ने आजादी के अमृत महोत्सव मनाकर सभी पूर्वांचलवासियों का मस्तक गौरवान्वित कर दिया। गौरतलब हो कि विंग कमांडर नीरज द्विवेदी देवरिया जिले के सहजौली गांव के मूल निवासी है। इनका परिवार वर्तमान गोरखपुर के नंदा नगर सैनिक विहार कालोनी में रहता है। विंग कमांडर नीरज द्विवेदी के इस अभूतपूर्व उपलब्धि पर उनके पिता रिटायर्ड आनरेरी फ्लाईट आफिसर दयाशंकर द्विवेदी, उनकी माता श्रीमती कालिन्दी द्विवेदी, बहन श्रीमती पूनम द्विवेदी तथा शुभचिन्तकों ने खुशी जाहिर किया है। इस गणतंत्र दिवस परेड में 480 डांसर्स ने हिस्सा लिया। इनका चयन ‘वंदे भारतम्’ प्रोग्राम के तहत हुआ था। नेशनल कैडेट कोर की तरफ से ‘शहीदों को शत शत नमन’ कार्यक्रम पेश किया गया। अलग-अलग एयरक्रॉफ्ट्स ने साथ मिलकर समां बांधने वाले फॉर्मेशन बनाए। एक राफेल, दो जगुआर, दो मिग-29 और दो Su-30 ने साथ मिलकर एरोहेड फॉर्मेशन बनाया। इधर परेड में शामिल ध्रुव हेलिकॉप्टर्स और रुद्र हेलिकॉप्टर्स के कॉकपिट का नजारा सामने आया।
गणतंत्र दिवस के समारोह के बाद बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी होगी। इस अवसर पर स्वदेशी तौर पर विकसित किए गए एक हजार ड्रोन समां बांधेगे।