" एक अलग पहचान"
सहकर तपन मैं धूप की,
राहों पे अपनी चल दिया l
मध्य झंझावात में भी,
ज्ञान दीप जला दिया l
झेलकर के भी थपेड़े,
मुस्कुराहट साथ ले l
ज़िंदगी की वास्तविकता,
में समा ख़ुद को दिया l
आज चलती हूँ जहाँ ,
ख़ुद्दारियों के साथ में l
अनजान राहों में भी,
पहचान अपनी पा लिया l
मैं समाहित हूँ प्रकृति में,
जान अपने को लिया l
बन के रश्मि मैं रवि की,
यह जहाँ चमका दिया l
भेद ह्रदय के सभी,
हर ह्रदय से मिटा दिया l
मध्य झंझावात में भी,
ज्ञान- दीप जला दिया l
रश्मि पाण्डेय
बिंदकी, फतेहपुर