"ईश"

 "ईश"




दे कृपा दृष्टि तुमने मुझको, 

अंतर्मन से परितुष्ट किया। 



हर बाधाओं से  बचा  के भी, 

तुमने मुझ पर एहसान किया l



चाहूँ  मैं जीवन  के बदले, 

चरणों की तेरी सेवा करना l



भव सागर से भी बचा प्रभु! 

तुम मुझको पार लगा देना l



तुमने ही मुझको जाना है, 

तुमने ही मुझे पहचाना है l



मैं बिना तुम्हारे कुछ भी नहीं, 

तुम ही मुझको अपना लेना l



जब भी मैं धूप से तपित हुई, 

तुम छाया बनकरके आये l



हर बाधा में बन ढाल तुम्हीं, 

मेरी ताकत बन कर आये l



मैं लक्ष्य तुम्हें लेकर के ही, 

अपने जीवन को जीती हूँ l



ए लक्ष्य! मेरे जीवन के तुम, 

अपना  दीदार  मुझे देना l




रश्मि पाण्डेय

बिंदकी, फ़तेहपुर

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