" कपट "
मुँह देखा व्यवहार कर रहे,
थम्ब प्रदर्शित करते लोग l
ईर्ष्या से हो ग्रषित लोग अब,
सिम्बल मैसेज करते लोग l
भावों की गुरुता को नष्ट कर,
रूप ह्रदय लघु करते लोग l
कभी भाव गरिमा को नष्ट कर,
महिमा मंडित करते लोग l
कभी किसी की बेहतरता को,
नष्ट- भ्रष्ट कर देते लोग l
कभी बढ़ावा को देकरके,
विकृतियाँ पनपाते लोग l
कभी नष्ट मर्यादा को कर,
यूँ ही मुँह को बनाते लोग l
कभी किसी की शुचिता पर भी,
तोहमत बहुत लगाते लोग l
कभी दिखावा में पड़ करके,
अहमियत प्रदर्शित करते लोग l
झूठी काना- फूसी करके,
दकियानूसी करते लोग l
कभी किसी की सच्चाई को,
तब्दील झूठ में करते लोग l
हर समूह में बेहतरता को ,
हेय दृष्टि कर देते लोग l
मान किसी को ही अपना बस,
थंब प्रदर्शित करते लोग l
वहीं किसी की पावनता पर ,
मौन के साधक बनते लोग l
रश्मि पाण्डेय
बिंदकी, फ़तेहपुर