पूर्णिमा के दिन आयु और कर्मों का होता है हिसाब, जान-अनजान में बनी गलती की माफी प्रभु से मांगो और अब न करने का संकल्प बनाओ

 पूर्णिमा के दिन आयु और कर्मों का होता है हिसाब, जान-अनजान में बनी गलती की माफी प्रभु से मांगो और अब न करने का संकल्प बनाओ



अबकी बार गुरु महाराज का तपस्वी भंडारा होगा, जो लोग भंडारे में आएंगे उनको मालूम हो जाएगा कि तपस्वी भंडारा क्या होता है


उज्जैन (मध्य प्रदेश)।जीवन की हर परिस्थिति में, समय की हर करवट पर अनगिनत तरीकों से मनुष्य को बार-बार अपनी जान-अनजान में बनी गलतियों की सजा से और कर्मों के बंधन से मुक्ति का उपाय बताने वाले और बार-बार बच निकलने के मौके देने वाले इस समय के धर्मात्मा, इस धरती के महापुरुष, प्रभु की पूरी ताकत वाले उज्जैन के पूरे समरथ सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी ने 16 अप्रैल 2022 को दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेम पर प्रसारित संदेश में बताया कि देखो प्रेमियों! जो चार शरीर में जीवात्मा जकड दी गई, बंधन से मुक्ति ऐसे नहीं मिलेगी, चाहे कितना भी उपाय करो। बहुत (असफल प्रयास) लोगों ने किया। यह तो इसी से होगा-

*काल बंधन छूटै नहीं, जेती करो उपाय।*

*सतगुरु मिले तो ऊबरे, नहीं तो भटका खाय।।*

यही रास्ता है सुमिरन, ध्यान, भजन का। बराबर आप लोग करते रहो।


*जान-अन्जान में बनी गलती की मांगो उस प्रभु से माफी और आगे गलती न करने का बनाओ संकल्प*


आज पूर्णिमा है। कहते हैं आयु, कर्मों का हिसाब होता है आज के दिन। गुरु महाराज से, उस प्रभु से प्रार्थना करो कि एक महीने के पीछे हमारे शरीर, मन से जो भी गलती हो गई हो, उसको आप क्षमा करो, अब गलती नहीं होगी। जिन गलतियों का ज्ञान आपको हुआ है कि हमसे जान-अनजान में बनी, उनकी आप माफी मांगो और दोबारा न करने का आप बनाओ संकल्प।


*जो लोग आगामी भंडारे में आएंगे, उनको मालूम हो जाएगा कि तपस्वी भंडारा क्या होता है*


देखो अभी एक पूर्णिमा और पड़ेगी उसके बाद गुरु महाराज का भंडारा (26, 27, 28 मई 2022, उज्जैन आश्रम) आ जाएगा। जैसा भी होगा, जैसी भी परिस्थिति होगी, जैसा हर साल होता है, हो जाएगा गुरु महाराज की दया से। लेकिन यह बात जरूर है कि अबकी बार गुरु महाराज का भंडारा, तपस्वी भंडारा होगा। इसका मतलब अभी आपके समझ में नहीं आयेगा लेकिन जो लोग यहां (उज्जैन आश्रम) आएंगे, देखेंगे, सुनेंगे, समझेंगे उनको मालूम हो जाएगा कि तपस्वी भंडारा क्या होता है।


*सन्त उमाकान्त जी के वचन*


लालच नहीं करोगे तो ठगों से बच जाओगे। जीव मारने की सजा मिलेगी, नर देही फिर नहीं मिलेगी। सच्ची इबादत में दुनिया की चीजों की ख्वाहिश नहीं होती। सौभाग्य से ही सन्त सतगुरु मिलते हैं। सोचो! मौत के बाद कहाँ जाएंगे। जय गुरु देव नाम प्रभु का, मौत के समय पीड़ा इसी नाम से कम होगी। यह तन दुर्लभ तुमने पाया, कोटि जनम जब भटका खाया।

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