विश्वामित्र ने दशरथ से मांगे राम-लखन
बिदकी फतेहपुर ।।।देवमई विकास खण्ड के पधारा गांव में आयोजित रामलीला के पहले दिन कलाकारों ने दर्शकों का मन मोंह लिया पहले दिन फुलवारी लीला मंचन किया। जिसमे विश्वामित्र ने यज्ञ रक्षा के लिए अयोध्या नरेश दशरथ से राम और लक्ष्मण को मांग लिया।ताड़का,सुबाहु और मारीच के आतंक से विश्वामित्र के अलावा जंगल में वास करने वाले अन्य संत जन भी परेशान थे। वह नियमित यज्ञ कार्य भी नहीं कर पा रहे थे। दुष्ट प्रकृति का सुबाहु यज्ञ स्थल पर मरे प्राणियों की हड्डी बिखेर देता। इससे परेशान होकर विश्वामित्र ने विचार किया और निर्णय लिया कि यज्ञ की रक्षा के लिए अयोध्या नरेश से राम और लक्ष्मण को मांग लें।इसके बाद वह अयोध्या पहुंच गए। अयोध्या में उनका स्वागत राजा दशरथ ने किया। इसके बाद अयोध्या आने का कारण पूछा। तब उन्होंने उनसे राम और लक्ष्मण को मांग लिया। शुरू में तो राजा दशरथ पुत्र देने से इन्कार कर देते हैं कहते हैं कि आप चाहें तो मेरी सेना ले लें या उन राक्षसों का वध करने के लिए मैं चलूंगा । मोह के कारण राजा दशरथ राम लक्ष्मण को नहीं दे रहे थे। वह असमंजस में डूब गए।गुरु वशिष्ट की सलाह पर महाराज दशरथ ने विश्वामित्र को राम और लक्ष्मण को सौंप दिया। विश्वामित्र अयोध्या से राम-लक्ष्मण को लेकर अपने आश्रम वापस लौट आये। जब राम-लक्ष्मण विश्वामित्र की कुटिया की ओर जाते हैं उन्हें मार्ग में ताड़का नाम की राक्षसी मिलती है। भगवान उसको एक ही बाण से मार देते हैं। आश्रम में रहकर राम और लक्ष्मण विश्वामित्र के यज्ञ स्थल की रक्षा करने लगे। यज्ञ के समय पर मारीच को वाण मारकर लंका भेज देते हैं और सुबाहू का वध कर देते हैं। इससे जंगल में रहने वाले अन्य साधु-संतों ने अपने को सुरक्षित महसूस किया।इस मौके पर कार्यक्रम के अध्यक्ष नूर बाबा मोहम्मद,छोटू पटेल,संगम सिंह तोमर,सर्वेश पटेल, लालू पटेल, संदीप वर्मा,मुकेश पटेल अन्य लोग उपस्थित रहे।