एमडीआर टीबी के मरीजों को भी मिलेगी इंजेक्शन से मुक्ति

 एमडीआर टीबी के मरीजों को भी मिलेगी इंजेक्शन से मुक्ति



टीबी हास्पिटल में दस मरीजों का चल रहा इलाज 


फतेहपुर। एक बार टीबी का उपचार शुरू करने के बाद बीच में दवा छोड़ने पर होने वाली मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी एमडीआर के मरीजों को भी अब चार माह तक लगातार इंजेक्शन लगवाने की पीड़ा से मुक्ति मिलेगी। इंजेक्शन के स्थान पर मरीज को 9 से 11 माह तक ओरल दवा खानी पड़ेगी। टीबी हास्पिटल में दस मरीजों का इलाज शुरू भी हो गया है। 

डीटीओ डॉ अभय पटेल ने बताया कि एमडीआर टीबी के मरीजों को रोजाना इंजेक्शन लगवाने से असहनीय पीडा होती थी, इसलिए अब खाने वाली दवा से ही उपचार शुरू करने की तैयारी है। डीटीओ ने बताया कि टीबी के उपचार को लगातार ज्यादा कारगर और कम कष्टप्रद बनाया जा रहा है। विभाग 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने के प्रयास में जुटा हुआ है। सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर अजीत सिंह ने बताया कि एमडीआर टीबी के मरीजों को अब तक लगातार चार माह तक कैनामाइसीन के इंजेक्शन लगवाने पड़ते थे, यह काफी पीड़ादायक होा है। अब इंजेक्शन के स्थान पर एमडीआर टीबी के सभी मरीजों को शार्टर ओरल वीडाकुलीन दी जाएगी।


-क्या होती है एमडीआर टीबी

जिला पीपीएम कॉऑर्डिनेटर राकेश कुमार ने बताया कि सामान्य टीबी होने पर जब मरीज उपचार के बीच में ही दवा छोड़ देता है तो वह मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी का शिकार हो जाता है। आम भाषा में इसे बिगड़ी टीबी भी कहते हैं। 


-टीबी का उपचार बीच में कतई न छोड़ें रू डीटीओ


टीबी के मरीज को एक बार उपचार शुरू करने पर बीच में कतई नहीं छोड़ना चाहिए। अधिकतर मामलों में छह माह तक नियमित दवा खाने पर टीबी ठीक हो जाती है, लेकिन फिर भी जांच के बाद चिकित्सक की राय के बिना दवा न छोड़ें। इस मामले में लापरवाही एमडीआर टीबी को बुलावा देने जैसी है।

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