नरैनी पुलिस ने आधा दर्जन से ज्यादा पत्रकारों पर फर्जी मुकदमा दर्ज कर भेजा जेल

 नरैनी पुलिस ने आधा दर्जन से ज्यादा पत्रकारों पर फर्जी मुकदमा दर्ज कर भेजा जेल



खनन माफियाओं के खिलाफ खबर ना चलाने का बना रहे थे दबाव नहीं मानने पर की गई कार्यवाही


पुलिस प्रशासन के खिलाफ पत्रकारों ने खोला मोर्चा, अनशन पर बैठे पत्रकार



बांदा - जनपद में पुलिस प्रशासन के द्वारा पत्रकारों को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि पत्रकारों पर अगर हमला या फर्जी कार्यवाही की गई दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी लेकिन पुलिस पत्रकारों को फर्जी मुकदमे में फंसा कर जेल भेज रही है।

 पूरा मामला जनपद बांदा का है। जहां पर नरैनी पुलिस के द्वारा खदानों में धन उगाही व धमकाने के आरोप में मुकदमा पंजीकृत किया गया है और निर्दोष पत्रकारों को जेल भेज दिया गया है।

 आपको बताते चलें पत्रकार ग्रामीणों की सूचना पर खनन माफियाओं के खिलाफ खबर करने गए थे। जिसको खबर करने के बाद पत्रकारों ने सीओ नरैनी नितिन कुमार से उनका वर्जन लेना चाहा जिस पर नितिन कुमार सीओ नरैनी के द्वारा खबर ना चलाने का दबाव बनाया गया। लेकिन पत्रकारों ने जब कहा कि यह खबरें चलाई जाएंगी तो उनको कोतवाली भेज खदान संचालकों पर दबाव बना कर उनसे पत्रकारों के खिलाफ तहरीर ले करके निर्दोष पत्रकारों के खिलाफ फर्जी धारा 386 व 506 के तहत मुकदमा पंजीकृत करके जेल भेज दिया गया है। इसी को लेकर आज पत्रकारों ने मामले की न्यायिक जांच कराने सहित सीओ नारायणी व थाना अध्यक्ष बर्खास्त कर जेल भेजने की मांग की है। इसको लेकर आज पत्रकारों ने अशोक लाट अनशन स्थल पर क्रमिक अनशन की शुरुआत की है।पत्रकारों ने मांग की है कि जब तक सीओ नारायणी व थानाध्यक्ष नारायणी के खिलाफ कार्यवाही नहीं होगी तब तक अनशन पर लगातार बैठे रहेंगे। साथ ही मामले की न्यायिक जांच भी कराई जाए पुलिस प्रशासन के द्वारा जांच ना की जाए, जिससे कि निष्पक्ष जांच हो सके अगर इस तरह से चौथे स्तंभ को दबाने का प्रयास किया गया तो निश्चय ही एक दिन ऐसा आएगा कि लोग न्याय के लिए भटकेंगे लेकिन पुलिस प्रशासन अपने मनमानी तरीके से करा कार्रवाई करता रहेगा। निर्दोष पत्रकार व आम लोग शिकार बनते रहेंगे। अब देखने वाली बात यह है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री इस मामले में संज्ञान लेकर दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही का आदेश कब देते हैं या ऐसे ही कवरेज के दौरान पुलिस प्रशासन के कोप का शिकार होते रहेंगे।

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